भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक राष्ट्रवाद दुनिया के कई हिस्सों में व्यापार को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि दुनिया में दक्षिण एशिया और विशेष रूप से भारत व्यापक वैश्विक अनिश्चितता के बीच नॉर्थ स्टार के रूप में देखा जा रहा है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मुख्य अर्थशास्त्रियों की आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद दक्षिण एशिया के लिए विकास का नजरिया मजबूत रहा है और इकोनॉमिस्ट दक्षिण एशिया की संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं, जिसमें से एक तिहाई को 2025 के बाकी समय के लिए मजबूत या बहुत मजबूत विकास की उम्मीद है.
भारत क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 2025 के लिए 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा अनुमानित जीडीपी विस्तार के साथ विकास का प्राथमिक इंजन बनने के लिए तैयार है. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव साथ मई की शुरुआत में क्षेत्र की हाल की चुनौतियां तेज हो गईं.
वहीं टैरिफ के बीच चीनी निर्यात अभी भी क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है. हाल ही में खरीदारी वाले डेटा ने उम्मीदों को पार कर लिया और नए निर्यात ऑर्डर में बड़ी ग्रोथ देखी गई है. समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि अप्रैल में Apple ने भारत से अमेरिका को iPhone शिपमेंट में उल्लेखनीय वृद्धि की, जिसमें निर्यात साल-दर-साल 76 प्रतिशत बढ़कर लगभग 30 लाख यूनिट हो गया. इसके विपरीत, चीन से शिपमेंट में 76 प्रतिशत की गिरावट आई.
भारत और यूके के बीच हाल ही में संपन्न व्यापार सौदा भी आशावाद को जगा रहा है. यह सौदा (https://www.gov.uk/government/news/uk-signs-trade-deal-with-india) व्हिस्की, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों जैसे प्रमुख उत्पादों पर भारतीय टैरिफ को कम करेगा, जिससे यूके के निर्यात के लिए टैरिफ लाइनों के 90 प्रतिशत पर कटौती होगी.
सबसे ज्यादा अनिश्चित क्षेत्र
क्षेत्र और व्यापार मोर्चों पर युद्धों के कारण होने वाली अनिश्चितता से व्यापार में लंबे समय तक व्यवधान आने की उम्मीद है. WEF की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सर्वेक्षण में शामिल 79 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्री मौजूदा घटनाक्रम को वैश्विक अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक बदलाव के रूप में देखते हैं, न कि अल्पकालिक व्यवधान के रूप में.’ मौजूदा अवधि में, 98 प्रतिशत अर्थशास्त्री इसे उच्च से बहुत उच्च अनिश्चितता के रूप में रखते हैं. सबसे अधिक व्यवधान व्यापार नीति में है, उसके बाद मौद्रिक और राजकोषीय नीति, और औद्योगिक और प्रौद्योगिकी नीति है.