सुपौल : सुपौल के शिक्षकों के लिए खुशखबरी है और अब स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में परेशानी नहीं होगी. दरअसल हाल के दिनों में ई-शिक्षा कोष के माध्यम से शिक्षकों के स्थानांतरण व पदस्थापन से जिले में बिगड़े छात्र शिक्षक अनुपात को पाटने के लिए विभाग ने पहल की है. इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार ने सुपौल जिला शिक्षा पदाधिकारी समेत अन्य जिलों के डीईओ को दिशा-निर्देश जारी किया है.
इसमें कहा गया है कि शिक्षकों के स्थानांतरण से विद्यालयों में असंतुलित हुए छात्र शिक्षक अनुपात को मानक अनुसार बनाया जाना है. ऐसे में निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिला में स्थित विद्यालयों की समीक्षा कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रत्येक विद्यालय में छात्र संख्या और विषयों के अनुसार पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध करे. जहां शिक्षक कम हैं, वहां अनुपातिक आधार पर योग्य शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का निर्देश दिया है.
ऐसे में निदेशक ने स्थानांतरण से उत्पन्न शिक्षक की कमी को तत्काल चिह्नित कर प्रतिनियुक्ति की कार्रवाई करने को कहा है. कहा है कि जिन विद्यालयों से शिक्षक की प्रतिनियुक्ति होगी, वहां की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा जाना है. प्रतिनियुक्ति के दौरान विषय आधारित आवश्यकता को प्राथमिकता दी जाए तथा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर प्रतिनियुक्त शिक्षकों का डेटा अपडेट करना अनिवार्य करें. प्रतिनियुक्त शिक्षकों से संबंधित आदेश को लिखित रूप में संधारित किया जाए.
जिसमें यह स्पष्ट हो कि किस विद्यालय से किस विद्यालय में प्रतिनियुक्त किया गया है. दरअसल शिक्षक स्थानांतरण के बाद छात्र-शिक्षक अनुपात एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है. विभाग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक जिले में एक शिक्षक पर औसतन 30 से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं, जो शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गंभीर संकेत है. जबकि शिक्षा विभाग के मानक के अनुसार, प्राथमिक स्कूलों में एक शिक्षक पर अधिकतम 30 छात्रों की सीमा तय की गई है.
लेकिन जिले में यह अनुपात तय सीमा से अधिक है. स्थानांतरण के बाद अब जब विभाग ने इस बढ़ते असंतुलन के समाधान के लिए शिक्षकों के प्रतिनियुक्ति को लेकर हरी झंडी दे दी है तो निश्चित ही बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की राह आसान हो होगी.