मिर्ज़ापुर : आर्थिक प्रताड़ना के साथ तंगहाली भरी जिंदगी जीते हुए भी बराबर ड्यूटी बजाते आएं आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. उन्हें अब शोषण से मुक्ति मिलेगी. इसके लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने पहल तेज करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने से लखनऊ में मुलाकात कर आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याओं को भी सामने रखा है.
बताते चलें कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के क्रम में उत्तर प्रदेश में आउटसोर्सिंग के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से मैन पावर क्रय की व्यवस्था लागू है. उत्तर प्रदेश शासन के कार्मिक- 2 के शासनादेश संख्या- 8/2019/ 20/1- 19- का- 2/ 2019 18 दिसंबर 2019 के माध्यम से उत्तर प्रदेश के शासकीय विभाग एवं उनके अधीनस्थ संस्थानों में केवल जेम पोर्टल के माध्यम से मैनपॉवर आउटसोर्स किए जाने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
उक्त शासनादेश के बिंदु 7 में यह प्रावधान किया गया है कि “सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा सेवायोजन विभागों द्वारा जेम पोर्टल व्यवस्था को सुचार रूप से चलाने के लिए शासनादेश के निर्गत किए जाने की तिथि से 45 दिन के अंदर प्रत्येक दशा में संगत कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी.”
कार्मिक अनुभाग- 2 के शासनादेश 18 दिसंबर 2019 की व्यवस्था के अंतर्गत यह समझा जा रहा था कि सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम एवं सेवायोजन विभाग आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों के लिए सुसंगत नियमावली का प्रख्यापन कर उनकी सेवा शर्तों को संरक्षित करेंगे एवं न्यूनतम मानदेय का निर्धारण भी करेंगे, परंतु शासनादेश जारी होने के पांच साल बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों लिए ना तो नियमावली जारी की गई है और ना ही उनका न्यूनतम मानदेय ही निर्धारित किया गया है.
जो सेवा प्रदाता एजेंसियों के लिए खुली छूट है. सेवा प्रदाता एजेंसी आउटसोर्स कर्मियों का आर्थिक सामाजिक एवं श्रम शोषण कर रही है. आउटसोर्स कर्मी नियुक्ति से लेकर भुगतान तक आर्थिक शोषण के शिकार है. सेवा प्रदाता एजेंसियां नियुक्ति के समय प्रत्येक आउटसोर्स कर्मी से नियुक्ति के नाम पर लाखों रुपए का लेनदेन करती है.
वहीं समय से मानदेय का भुगतान नहीं किया जाना, निर्धारित मानदेय से कम का भुगतान किया जाना, आउटसोर्स कर्मी के मानदेय से सेवा कर वसूला जाना (GST) तथा निर्धारित घंटों से अधिक काम लिया जाना भी शोषण का हिस्सा है. हालांकि सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम विभाग ने आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए 2020 में एक आदेश जारी किया है, लेकिन संगत नियमावली ना होने के कारण सेवा प्रदाता एजेंसियां निरंकुश है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष जेएन तिवारी के नेतृत्व में संयुक्त परिषद के प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर बताया कि संगठन ने पूर्व में भी उन्हें (मुख्यमंत्री) आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण से अवगत कराया था. तब मुख्यमंत्री जी ने आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति दिलाने, न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने एवं नियमावली बनाने के निर्देश भी जारी किए थे.
परंतु अभी तक न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण नहीं हो सका है एवं नियमावली भी प्रकाशित नहीं हो सकी है. आउटसोर्स कर्मियों को शोषण से बचाने के लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की तरफ से निम्नवत सुझाव प्रस्तुत करते हुए कार्यवाही का अनुरोध किया गया है जिनमें मुख्य रूप से
आउटसोर्स कर्मियों के चयन के लिए “आउटसोर्स कर्मचारी चयन आयोग” का गठन किया जाए, जिसके माध्यम से पद के अनुरूप योग्यता धारक उम्मीदवारों का चयन हो सके तथा सरकारी कार्यों में गुणवत्ता पूर्वक कार्य हो सके. निजी कंपनियां चयन में निर्धारित योग्यता का ध्यान नहीं रखती हैं जिसके कारण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है.
नियमावली कार्मिक अनुभाग- 2 के शासनादेश 18 दिसंबर 2019 के क्रम में आउटसोर्स कर्मियों के लिए सुसंगत नियमावली का प्रख्यापन कराया जाए, जिसमें उनकी सेवा शर्तें, न्यूनतम मजदूरी एवं अन्य कल्याणकारी प्रावधान निहित हो. तथा निम्न प्रावधानों को नियमावली में रखा जाए.
(I) संशोधन: नियमावली 1 अप्रैल 2024 से लागू मानी जाए
(II) लाभार्थी: उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिक को इसका लाभ दिया जाय
(III) क्षेत्र: निर्माण, लोडिंग, अनलोडिंग, वॉच एंड वार्ड, हाउसकीपिंग, खनन, कृषि, जन स्वास्थ्य, समाज कल्याण, शिक्षा को इस क्षेत्र इसकी परिधि में रखा जाय
(IV) वर्गीकरण: श्रमिकों का वर्गीकरण कौशल स्तर, कार्य उत्तरदायित्व एवं भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर किया जाए
(V) उद्देश्य: आउटसोर्स कर्मियों को महंगाई से राहत दिलाया जाना, शोषण से मुक्ति दिलाया जाना सेवा संरक्षित किया जाना है.
(VI) संशोधन की आवृत्ति: वर्ष में दो बार 1 अप्रैल एवं 1 अक्टूबर को
न्यूनतम मजदूरी,
आउटसोर्स कर्मियों की न्यूनतम मजदूरी निम्न प्रकार निर्धारित की जाए
(१) अकुशल rs 783 प्रतिदिन, rs 20358 प्रतिमाह
(२) अर्ध कुशल rs 868 प्रतिदिन, rs 22568 प्रतिमाह
(३) कुशल, लिपिक, वाच एंड वार्ड (बिना हथियार) rs 954 प्रतिदिन Rs 24804 माह
(४) अत्यधिक कुशल, कंप्यूटर, वाच एंड वार्ड (हथियार सहित)
rs 1035 प्रतिदिन, rs26910 प्रति माह
(५) तकनीकी, डिप्लोमा धारक rs 1459, प्रतिदिन, rs43770, माह
(६) पर्यवेक्षक, एलटी ग्रेड शिक्षक rs 2244, प्रतिदिन,
rs 67320 माह
(७) राजपत्रित rs 2805 प्रतिदिन, rs 84150 प्रतिमाह
(८) अन्य पदों पर पद के न्यूनतम ग्रेड की मैट्रिक्स + महंगाई भत्ता
(९) आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए
मकान किराया भत्ता, चिकित्सा सुविधा, बीमा की सुविधा भी प्रदान करने पर विचार करने की मांग किया गया. जानकारी देते हुए संगठन के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण जी दुबे ने बताया कि इसी के साथ ही
आउटसोर्स कर्मियों के संबंध में उपरोक्त अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए उनका सेवा संरक्षण, न्यूनतम मानदेय सुनिश्चित करने की की भी मांग मुख्यमंत्री से की गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों का आर्थिक शोषण बंद करने के साथ उनकी न्योचित समस्याओं का निदान करते हुए उनका शोषण रोका जायेगा.