भारत की अर्थव्यवस्था तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत घरेलू मांग, अच्छी मानसून और राजकोषीय विवेकशीलता (सरकार द्वारा वित्त का प्रबंधन सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी के साथ किया जाना) के सहारे मजबूत बनी हुई है. वित्त मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
इनके सहारे आगे बढ़ रही देश की इकोनॉमी
वित्त मंत्रालय ने सोमवार, 28 जुलाई को जारी अपनी ‘मासिक आर्थिक समीक्षा जून 2025’ में कहा, 2025 के मध्य में भारतीय अर्थव्यवस्था सतर्क आशावाद की तस्वीर पेश करती है. व्यापारिक तनाव, भू-राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी अनिश्चितताओं से उत्पन्न वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद भारत के वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे मजबूत बने हुए हैं. मजबूत घरेलू मांग, राजकोषीय विवेक और मौद्रिक समर्थन से इसे मदद मिल रही है. भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा.
S&P, ICRA और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसे प्रोफेशनल फोरकास्टर्स ने अपने सर्वे में वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.2 परसेंट और 6.5 परसेंट के बीच रहने का अनुमान लगाया है. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक गतिविधि मजबूत घरेलू मांग, सर्विस सेक्टर की ग्रोथ और मैन्युफैक्चरिंग व कृषि से मिले उत्साहजनक संकेतों पर आधारित थी.
ग्रामीण परिवारों की बढ़ेगी आय
रिपोर्ट में अनुकूल मानसून के कारण कृषि क्षेत्र में उत्साहजनक प्रगति का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है, “अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून से कृषि गतिविधियों को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है, जो समय से पहले आ गया और अब तक सामान्य से अधिक वर्षा हुई है.
इसके साथ ही पर्याप्त उर्वरक उपलब्धता और जलाशयों के स्वस्थ स्तर के कारण खरीफ की फसल अच्छी होने की उम्मीद है. नाबार्ड के ग्रामीण भावना सर्वेक्षण का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा, “74.7 परसेंट से अधिक ग्रामीण परिवार अगले साल अपनी आय वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं, जो सर्वेक्षण की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है.”
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि महंगाई के मोर्चे पर भी चीजें बेहतर बनी हुई हैं, जिससे नीति निर्माताओं को कुछ राहत मिली है. मंत्रालय ने कहा, “कोर इंफ्लेशन कम बनी हुई है और ओवरऑल इंफ्लेशन आरबीआई के 4 परसेंट के लक्ष्य से काफी नीचे है, जिससे महंगाई में कमी रहने की गुंजाइश है.”
रिपोर्ट में इस बात की दी गई चेतावनी
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 26 के लिए आउटलुक मोटे तौर पर पॉजिटिव बना हुआ है, लेकिन समीक्षा जोखिमों को नजरअंदाज नहीं करती. इसमें चेतावनी दी गई है, “वैश्विक मंदी, खासकर अमेरिका में (जो 2025 की पहली तिमाही में 0.5 परसेंट सिकुड़ गई), भारतीय निर्यात की मांग को और कम कर सकती है.” मंत्रालय ने थोक अपस्फीति के मद्देनजर वास्तविक जीडीपी अनुमानों पर जरूरत से ज्यादा भरोस करने को लेकर भी चेतावनी दी.