औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद में कांग्रेस के वरीय नेताओं पर नगर थाने में दर्ज हुई प्राथमिकी के बाद बिहार में सियासी घमासान मच गया है.यह प्राथमिकी भारतीय जनता पार्टी के औरंगाबाद के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह के कार्यालय प्रतिनिधि मृत्युंजय कुमार सिंह ने दर्ज कराई हैं.दर्ज प्राथमिकी को लेकर श्री सिंह ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को देखने के बाद यह कार्रवाई की है.
उक्त वीडियो में कथित तौर पर महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपया देने का वादा किया गया है.भाजपा कार्यकर्ता की शिकायत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह कुटुंबा विधायक राजेश कुमार और औरंगाबाद से कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज हुई है.
मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 352/79, 318(4) और आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 के तहत दर्ज हुआ है, जिसकी जांच सब इंस्पेक्टर समीर कुमार सिंह को सौंपी गई है.
श्री सिंह ने बताया कि 4 अगस्त को उन्होंने एक व्हाट्सएप स्टेटस में यह वीडियो देखा.जिस वीडियो में एक मस्जिद की तस्वीर के साथ एक युवक की आवाज में महिलाओं से “योजना फार्म” भरने की अपील की गई थी.युवक कह रहा था, “औरंगाबाद की मां-बहनों को हर माह 2500 रुपया मिलेगा, चाहे गोरी हो या काली-कलूटी, हर लड़की इस फार्म को भर सकती है.”
शिकायतकर्ता का आरोप है कि वीडियो में दिख रहे फॉर्म पर कांग्रेस नेताओं की तस्वीरें हैं.उनका दावा है कि इस प्रकार की भ्रामक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर जनता को धोखा देने, चुनाव को प्रभावित करने और महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.प्राथमिकी में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा, कुटुंबा विधायक राजेश कुमार और औरंगाबाद विधायक आनंद शंकर सिंह समेत उन सभी अज्ञात लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया है जो इस वीडियो से जुड़े हैं.
इस आरोप पर औरंगाबाद से कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस योजना का जिक्र वीडियो और एफआईआर में है, वह महागठबंधन के प्रस्तावित घोषणापत्र (मेनिफेस्टो) का हिस्सा है.उन्होंने कहा, “सभी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र का प्रचार-प्रसार करते हैं.मगर हमारे विरोधियों द्वारा इसे तोड़-मरोड़कर और ओछी राजनीति के तहत एक मुद्दा बनाया जा रहा है, जो कहीं से भी उचित नहीं है.”
विधायक ने आगे कहा कि किसी भी दल का प्रचार करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है, और किसी घोषणापत्र को ‘फर्जी योजना’ कहकर जनता को गुमराह करना भाजपा की रणनीति का हिस्सा है. नगर थाना पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और साइबर सेल को भी वायरल वीडियो के सोर्स और वितरण नेटवर्क का पता लगाने के लिए कहा गया है.