सरकारी गौशालाएं बनी दिखावा, भूख से परेशान सांडों का आतंक, हादसों का खतरा बढ़ा

गोंडा : (नवाबगंज): नवाबगंज कस्बे में इन दिनों आवारा सांडों का आतंक चरम पर है. गलियों, बाजारों और मुख्य सड़कों पर खुलेआम घूम रहे सांड न केवल यातायात बाधित कर रहे हैं, बल्कि राहगीरों के लिए भी खतरा बन गए हैं. इन बेकाबू सांडों के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नवाबगंज नगर पालिका प्रशासन इस समस्या से अनजान बना हुआ है.

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नगर के जवाहर चौक, सब्जी मंडी नवाबगंज की गलियों और स्कूल कॉलेज जैसी प्रमुख जगहों पर आए दिन सांडों के झगड़े होते रहते हैं। जब ये सांड आपस में भिड़ते हैं, तो आसपास के दुकानदारों और राहगीरों में अफरा-तफरी मच जाती है। कुछ महीने पहले एक बड़ा हादसा होते-होते बचा, जब दो सांडों की लड़ाई के दौरान एक सांड दुकान के अंदर घुस गया. गनीमत रही कि कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन दुकान में रखा सामान पूरी तरह बर्बाद हो गया.

नगर पालिका की घोर लापरवाही

सरकार ने बेसहारा गायों और सांडों के लिए गौशालाएं बनवाई हैं, जहां इनके भोजन और देखरेख की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन नगर पालिका नवाबगंज के अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह योजना केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। हालात यह हैं कि सांड भूख से मजबूर होकर बाजारों में घूमते हैं और इधर-उधर पड़े कचरे से पॉलिथीन और सड़ा-गला भोजन खाने को मजबूर हैं। यह न केवल इनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए भी खतरे का कारण बन रहा है.

नगर पालिका के अधिकारियों से जब इस मुद्दे पर बात की गई, तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है, जिसके बाद ही कार्रवाई होगी.

व्यापारियों और नागरिकों को भारी नुकसान

सांडों के आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित व्यापारी और आम नागरिक हो रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि जब भी ये सांड आपस में लड़ते हैं, तो ग्राहक डर के मारे दूर चले जाते हैं। कई बार इनकी लड़ाई में दुकान का सामान टूट जाता है, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.

रहवासी इलाकों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। महिलाएं और बच्चे सड़कों पर निकलने से डरते हैं। कई बार स्कूली बच्चों और राहगीरों को इन सांडों के कारण चोट भी लग चुकी है.

सरकार की योजनाएं और जमीनी हकीकत

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौ संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें गौ आश्रय स्थल सबसे महत्वपूर्ण हैं। यहां पर आवारा गायों और सांडों को रखा जाना चाहिए, ताकि वे सड़कों पर खुलेआम न घूम सकें। लेकिन नवाबगंज में यह योजना पूरी तरह से विफल साबित हो रही है.

नगर पालिका के पास पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद इन सांडों को गौशालाओं में पहुंचाने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन की यह लापरवाही न केवल लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, बल्कि सरकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर रही है.

लोगों की मांग: जल्द हो समाधान

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से इस समस्या के समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही इन सांडों को पकड़कर गौशालाओं में नहीं भेजा गया, तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

नगर पालिका को चाहिए कि वह जल्द से जल्द एक विशेष अभियान चलाकर इन सांडों को पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए। साथ ही, गौशालाओं में इनके खाने-पीने की समुचित व्यवस्था की जाए, ताकि ये सांड दोबारा सड़कों पर न आएं.

नवाबगंज में आवारा सांडों की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। प्रशासन की लापरवाही के कारण लोग भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं। व्यापार प्रभावित हो रहा है, राहगीरों की सुरक्षा खतरे में है, और नगर पालिका आंखें मूंदे बैठी है.

अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इन सांडों को गौशालाओं में पहुंचाए और नवाबगंज के नागरिकों को इस भय से मुक्त करे.

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