विदेशी फंडिंग लेने वाले गैर सरकारी संगठन (NGO) की सरकार ने निगरानी शुरू कर दी है. सरकार ऐसे एनजीओ के खिलाफ एक्शन लेने जा रही है, जो एक तरफ तो विदेश से मोटी फंडिंग ले रहे हैं और दूसरी तरफ गैर कानूनी काम को भी अंजाम दे रहे हैं. सरकार ऐसे NGO का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस रद्द करने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन 4 कामों में शामिल NGO का FCRA लाइसेंस रद्द करने का ऐलान किया है.
1. विकास विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले NGO.
2. धर्मांतरण कराने या ऐसी किसी गतिविधि में शामिल NGO.
3. दुर्भावना के चलते विरोध-प्रदर्शन भड़काने वाले NGO.
4. आतंकवादी या कट्टरपंथी संगठनों से संबंध रखने वाले NGO.
गृह मंत्रालय ने सोमवार को आधिकारिक वेबसाइट पर इस संबंध में एक नोटिस अपलोड किया. इसमें कहा गया कि यदि किसी NGO की विदेशी फंडिंग स्वीकार करने से सामाजिक या धार्मिक सद्भाव प्रभावित हो सकता है तो उसका FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. अगर कोई NGO प्रेरित या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन में शामिल पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी यही एक्शन होगा.
विदेशी फंडिंग के लिए NGO को यह करना जरूरी
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि NGO यदि कोई NGO अपने उद्देश्यों के मुताबिक विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल नहीं कर रहा है या उसने सालाना रिटर्न अपलोड नहीं किया है तो उसका FCRA लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा. दरअसल, विदेशी अंशदान हासिल करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों (NGO) को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के तहत रजिस्टर्ड होना होता है. अगर एनजीओ ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें विदेशी फंडिंग स्वीकार करने की अनुमति नहीं होती है.
कब रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर सकती है सरकार?
गृह मंत्रालय इसके अलावा भी कई कारणों के चलते NGO का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है. ऐसा तब भी किया जा सकता है, जब एनजीओ ने कोई गतिविधि न की हो या वह निष्क्रिय हो गया हो. इसके अलावा अगर जांच के दौरान दावा की गई गतिविधियों की पुष्टि नहीं होती है या पिछले 2-3 साल से एनजीओ ने समाज के कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया है, तब ऐसी स्थिति में भी लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.