सुपौल में 13 वर्षों से वनवास झेल रहा सरकारी विद्यालय, चैन की बंशी बजा रहा विभाग

सुपौल: 2010 में कोसी नदी के कटाव से विस्थापित होने के बाद ललित कोसी पीड़ित उच्च विद्यालय बनैनियां आज तक मध्य विद्यालय भपटियाही की छत पर वनवास झेल रहा है. कभी इलाके का प्रसिद्ध उच्च विद्यालय माना जाने वाला यह विद्यालय आज जमीन के लिए तरस रहा है.

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मध्य विद्यालय की तरफ से उच्च विद्यालय को एक कार्यालय भवन तथा दो कमरे का एक भवन दिया गया है जिसमें विद्यालय का संचालन होता है। विद्यालय में फिलहाल कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक 400 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. ऐसे में एक कमरा में 101 छात्र-छात्राओं को बैठने की मजबूरी है. जबकि भवन की स्थिति यह है कि एक कमरा में 30 से अधिक छात्र-छात्रा नहीं बैठ सकते हैं. परीक्षा के समय कई छात्र-छात्राओं को फर्श, बरामदे और सीढ़ी पर बैठकर कापी लिखनी पड़ती है. विद्यालय में जगह नहीं होने के कारण छात्र-छात्रा माह में कभी कभार आकर हाजिरी बना जाते हैं. खासकर मासिक परीक्षा में छात्र-छात्राओं की लगभग उपस्थिति हो जाती है और उसी के सहारे विद्यालय जीवंत अवस्था में है। उच्च विद्यालय बनैनियां पहले कोसी के गांव में था जहां इलाके भर के छात्र-छात्र पढ़ने आते थे। लेकिन कोसी नदी के कटाव के बाद विद्यालय का अस्तित्व एक तरह से समाप्त हो गया. तब से लेकर अब तक के 12 वर्ष के सफर में विद्यालय में कोई विकास नहीं दिखाई दिया। उच्च विद्यालय रहने के बावजूद वहां विषयवार पढ़ाई नहीं होती क्योंकि अलग-अलग कक्षा लगाने की जगह नहीं है. एक कमरे में सबसे अधिक छात्र-छात्राओं को जो विभिन्न कक्षा के होते हैं को बैठाकर पढ़ाना संभव नहीं है. ऐसे में छात्र-छात्राओं को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

उच्च विद्यालय के प्रधान दीपक कुमार यादव ने बताया कि अपनी जमीन नहीं रहने के कारण विद्यालय का विकास अवरुद्ध है। विद्यालयों को अपनी जमीन और भवन हो तो छात्र-छात्राओं का भविष्य निखारने में परेशानी नहीं होगी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.

इधर आपको बता दें कि एक भूमिहीन और भवनहीन उच्च माध्यमिक विद्यालय का पीएम श्री योजना के तहत चयन किया गया. अब समस्या यह है कि उच्च माध्यमिक विद्यालय का संचालन कहां होगा. मध्य विद्यालय भपटियाही पोषक क्षेत्र के अभिभावक विद्यालय को अपने मूल स्थान पर भेजने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक आवेदन दे चुके हैं.

अभिभावकों का कहना है कि हम लोगों ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दो कमरा दिया था. अब मध्य विद्यालय के अस्तित्व पर खतरा आ गया है.

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