ऑनलाइन सट्टेबाजी पर कानून बनाए सरकार, HC ने कहा-बर्बाद हो रहे किशोर और युवा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी जैसे अपराधों पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अभी कोई प्रभावी कानून नहीं है. सार्वजनिक जुआ अधिानियम 1867 औपनिवेशिक युग का कानून था, जो आज के दौर में प्रासंगिक नहीं रह गया है.

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कोर्ट ने कहा कि वर्चुअली सट्टेबाजी या जुआ अब राज्य और राष्ट्र की सीमा से परे जा चुका है. सर्वर सिस्टम दुनिया की सीमाओं को खत्म कर चुका है, जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.

झांसे में आकर उठा रहे आर्थिक नुकसान

कोर्ट ने कहा पैसे कमाने के चक्कर देश के किशोर और युवा आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. इस वजह से उनमें अवसाद, चिंता, अनिंद्रा जैसी स्थिति बढ़ रही है और सामाजिक विघटन बढ़ता जा रहा है. कोर्ट ने कहा निम्न और मध्य वर्ग के युवा ऑनलाइन गेम उपलब्ध कराने वाले प्लेटफार्म के झांसे में आकर आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं. ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल एक प्रभावी कानून बनाए जाने की आवश्यकता है.

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह आर्थिक सलाहकार प्रो. केवी. राजू की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करे और उस समिति में प्रमुख सचिव, राज्य कर के साथ विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाय. यह समिति मौजूदा स्थिति का आकलन करते हुए एक विधायी व्यवस्था का सुझाव देगी.

आपराधिक कार्रवाई को रद्द कराने की मांग

कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को अनुपालनार्थ आदेश की प्रति भेजने का निबंधक को आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने आगरा के इमरान खान व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचियों के खिलाफ जिला आगरा के मंटोला थाने में सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत तीन साल पहले प्राथमिकी दर्ज हुई थी. 27 दिसंबर 2022 को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सम्मन जारी किया. याचिका दाखिल कर आपराधिक कार्रवाई को रद्द कराने की मांग की गई थी.

जुआ खेलने वालों के खिलाफ प्रभावी कानून नहीं

कोर्ट ने देखा ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ खेलने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कानून नहीं है. सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत अधिकतम दो हज़ार रूपए जुर्माना और 12 महीने तक की कैद का प्रावधान है लेकिन फ़ैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और ई-स्पोर्ट्स जैसे ऑनलाइन गेम्स को लेकर कानून अस्पष्ट है. क्योंकि, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से संचालित होते हैं. बड़ी संख्या में युवा इसकी जद में आकर नुकसान उठा रहे हैं.

सार्वजनिक जुआ पर कानून

भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा जुआ गतिविधियों को विनियमित करने और सार्वजनिक जुआ घरों को दबाने के लिए लागू किया गया एक औपनिवेशिक युग का कानून है. अपने समय में यह ताश के खेल, पासे पर सट्टा लगाना, भौतिक जुआ घरों को विनियमित करता था. अधिनियम के तहत अधिकतम जुर्माना ₹500 या तीन महीने तक की कैद था. वर्ष 1867 में यह एक पर्याप्त निवारक था, लेकिन आज इसका कोई औचित्य नहीं है.

यूके, अमेरिका सहित कई देशों ने बनाए नियम

जुए को नियंत्रित करने के लिए यूके, अमेरिका सहित दुनिया की कई विकसित व्यवस्थाओं ने प्रोविजन किए हैं. यूके ने 2005 में जुआ अधिनियम लागू किया. इस कानून में लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, आयु सत्यापन प्रोटोकॉल, जिम्मेदार विज्ञापन मानकों और धन शोधन विरोधी उपायों सहित कई तरह के प्रावधान शामिल किए गए हैं. इसके साथ ही आयोग भी बनाया गया है.

इसी तरह ऑस्ट्रेलिया ने 2001 में, अमेरिका के न्यू जर्सी और पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों ने ऑनलाइन कैसीनो को पूरी तरह से वैध और विनियमित किया है. इस बीच, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया सहित कई अन्य देशों ने भी ऑनलाइन सट्टेबाजी की व्यवस्था की है. आदेश में कहा गया है कि भारत के नीति आयोग ने दिसंबर 2020 में एक नीति पत्र जारी किया था लेकिन अभी यह एक ग्रे क्षेत्र में है.

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