सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आ रहीं थी कि केंद्र सरकार गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित करने की तैयारी कर रही है. संसद में भी ये मुद्दा उठाया गया. एक सांसद ने सदन में सरकार से सवाल किया कि क्या ऐसा कोई इरादा है?. इस पर सरकार ने स्पष्ट किया कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की कोई योजना नहीं है. सरकार के इस जवाब से इन अटकलों पर विराम लग गया है.
मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बताया कि केंद्र सरकार की गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए कोई कानून बनाने की योजना नहीं है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा सदन में पूछे गए एक सवाल के लिखित उत्तर में बघेल ने इस बात की जानकारी दी.
लिखित उत्तर में बघेल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246(3) के अनुसार संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण के तहत पशुओं का संरक्षण एक ऐसा मामला है जिस पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की विशेष शक्तियां प्राप्त हैं. मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार गायों के संवर्धन, संरक्षण और पालन-पोषण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई पहलों को समर्थन देने और उन्हें सुदृढ़ करने के लिए दिसंबर 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन संचालित कर रही है.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार गायों के संवर्धन, संरक्षण और पालन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई पहलों को समर्थन और मजबूती देने के लिए दिसंबर 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन को क्रियान्वित कर रही है। 2024 में देश के कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन में गाय के दूध का योगदान 53.12 प्रतिशत था, जबकि भैंस के दूध का योगदान 43.62 प्रतिशत था.
सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित नहीं कर सकती, इसके पीछे संवैधानिक कारण हैं. संविधान के अनुच्छेद 246(3) के अनुसार, केंद्र और राज्यों के बीच कानून बनाने के अधिकार बंटे हुए हैं. पशुओं का संरक्षण और पालन-पोषण राज्य सूची का विषय है. इसका मतलब है कि इस पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य विधानसभाओं के पास है, केंद्र सरकार के पास नहीं.