GST से सरकार की कमाई तीन गुना, नए सुधारों से बढ़ेगा कलेक्शन या होगी कमी?

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने के बाद से सरकार की कमाई लगातार बढ़ी है। 2017 में जीएसटी लागू हुआ था और शुरुआती चुनौतियों के बावजूद सरकार का टैक्स कलेक्शन हर साल नए रिकॉर्ड बनाता गया। अब तक के आंकड़े बताते हैं कि बीते 8 साल में जीएसटी से होने वाली कमाई लगभग तीन गुना हो गई है।

शुरुआत में 2017-18 में सरकार का मासिक औसत जीएसटी कलेक्शन करीब 90,000 करोड़ रुपये था। लेकिन 2024-25 तक यह बढ़कर 1.6 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया। कई महीनों में तो कलेक्शन 2 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा भी पार कर चुका है। इस वजह से जीएसटी अब केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सबसे बड़ी राजस्व धारा बन चुका है।

हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव किए हैं। कई वस्तुओं पर टैक्स दरें घटाई गई हैं, जिनमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और एफएमसीजी उत्पाद शामिल हैं। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और खपत बढ़ने की संभावना है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इससे सरकार के राजस्व में कमी आएगी या यह सुधार उल्टा कलेक्शन को और बढ़ा देंगे।

वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों में कमी से शुरुआत में थोड़ी गिरावट जरूर दिख सकती है, लेकिन लंबी अवधि में इसका असर सकारात्मक होगा। दरअसल, टैक्स कम होने से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा, बिक्री में तेजी आएगी और कंपनियों का उत्पादन बढ़ेगा। इसका नतीजा यह होगा कि जीएसटी बेस बढ़ेगा और सरकार को ज्यादा कलेक्शन मिलेगा।

इसके अलावा, सरकार ई-इनवॉइसिंग और डिजिटलीकरण के जरिए टैक्स चोरी रोकने में भी काफी हद तक सफल रही है। तकनीक के इस्तेमाल से पारदर्शिता बढ़ी है और नकली बिलिंग जैसी समस्याएं काफी कम हुई हैं। यही वजह है कि टैक्स दरें घटाने के बावजूद कुल कलेक्शन मजबूत बना हुआ है।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जीएसटी 2.0 के तहत जो भी सुधार किए जा रहे हैं, उनका मकसद टैक्स प्रणाली को सरल बनाना और उपभोक्ता के साथ-साथ उद्योगों को भी फायदा पहुंचाना है। अगर खपत और निवेश का यह चक्र मजबूत रहा तो आने वाले वर्षों में सरकार का कलेक्शन और ज्यादा बढ़ सकता है।

कुल मिलाकर, जीएसटी ने आठ साल में सरकार की कमाई को तीन गुना कर दिया है और नए सुधार इस रफ्तार को और तेज करने की क्षमता रखते हैं।

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