झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में हुए चुनाव का परिणाम 23 नवंबर को घोषित हो गया. इस चुनाव में झामुमो के नेतृत्व वाला ‘इंडिया’ गठबंधन, बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर भारी पड़ा. इंडिया ब्लॉक ने 56 और एनडीए ने 24 सीटें जीतीं, जबकि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के खाते में एक सीट आई.
चुनाव से ठीक पहले झामुमो से बगावत करके बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का जादू कोल्हान रीजन में नहीं चल सका. इस रीजन की 14 सीटों में से भाजपा केवल 3 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि झामुमो ने 10 और कांग्रेस ने 1 सीट पर कब्जा किया. चुनाव में एनडीए की हार के बाद चंपाई सोरेन ने X पर एक पोस्ट में पहली प्रतिक्रिया दी है.
कोल्हान रीजन की 14 में से 11 सीटें हारी बीजेपी
जोहार साथियों,
जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है। हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) November 24, 2024
उन्होंने लिखा, ‘जोहार साथियों, जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है. हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. पाकुड़, साहिबगंज समेत कई जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक हो चुका है. अगर हम लोग वहां के भूमिपुत्रों की जमीनों और वहां रहने वाली बहू-बेटियों की अस्मत की रक्षा ना कर सके, तो…?’
चंपाई सोरेन ने आगे लिखा, ‘चुनावी गहमागहमी के बाद, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं वीरांगना फूलो-झानो को नमन कर के, बहुत जल्द हम लोग संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान का अगला चरण शुरू करेंगे. सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी मगर हमारा समाज रहना चाहिए, हमारी आदिवासियत बची रहनी चाहिए, अन्यथा कुछ नहीं बचेगा। इस वीर भूमि से फिर एक बार उलगुलान होगा. जय आदिवासी! जय झारखंड!!’
झारखंड में एनडीए का अभियान घुसपैठियों द्वारा राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने, आदिवासियों की भूमि और नौकरियों पर कब्जा करने जैसे मुद्दों पर केंद्रित था. इसके बावजूद, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर इंडिया गठबंधन को भारी समर्थन मिला. भाजपा ने झामुमो के पूर्व नेता और छह बार के विधायक चंपाई सोरेन को पार्टी में शामिल करने के बाद आदिवासी सीटों पर जीत को लेकर उन पर अपनी उम्मीदें लगा दी थीं.
सरायकेला सीट पर जीते चंपाई सोरेन
हालांकि चंपाई सोरेन ने भाजपा के लिए सरायकेला सीट जीती, लेकिन उनका प्रभाव कोल्हान में नहीं दिखा. एनडीए क्षेत्र की 14 में से 11 सीटें हार गई, जिनमें घाटशिला, पोटका और जगन्नाथपुर जैसे प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र शामिल थे. पोटका में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा, जेएमएम के संजीव सरदार के हाथों 27,902 वोटों के अंतर से चुनाव हार गईं. इसी तरह चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन झामुमो के राम दास सोरेन से घाटशिला में 21,974 वोटों से हार गये.