GPM: स्वामी आत्मानंद स्कूल सेमरा में हिंदी माध्यम के साथ भेदभाव का आरोप, छात्रों और ग्रामीणों ने किया चक्काजाम

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: जिले के सेमरा स्थित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ भेदभाव का गंभीर मामला सामने आया है। विद्यालय प्रशासन के रवैये से नाराज़ होकर छात्रों और ग्रामीणों ने स्कूल का घेराव किया और गौरेला-पेंड्रा मार्ग पर चक्का जाम कर दिया। ग्रामीणों और छात्रों की मांग है कि गांव में संचालित हिंदी माध्यम की कक्षाएं यथावत जारी रखी जाएं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन शासन और न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद हिंदी माध्यम को बंद करने की कोशिश कर रहा है। इसको लेकर क्षेत्र में नाराज़गी और रोष का माहौल है।

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जानकारी के अनुसार, स्कूल के प्राचार्य एन. के. तिवारी ने कक्षा 8वीं के एक हिंदी माध्यम छात्र को बिना माँगे ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) जारी कर दिया, यह कहते हुए कि अब स्कूल में हिंदी माध्यम की पढ़ाई बंद कर दी गई है। जबकि 22 अगस्त 2022 को जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि विद्यालय में अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों माध्यम की पढ़ाई जारी रहेगी। यही नहीं, 16 अगस्त 2023 को भी स्कूल शिक्षा विभाग ने दोबारा आदेश जारी करते हुए साफ किया था कि हिंदी माध्यम को बंद नहीं किया गया है और दोनों माध्यम समान रूप से संचालित रहेंगे।

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पहले भी हटाए गए थे हिंदी माध्यम के छात्र

स्थानीय प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्ष 2020-21 और 2021-22 में भी कई छात्रों को ग़लत जानकारी देकर विद्यालय से बाहर कर दिया गया था, यह कहकर कि हिंदी माध्यम बंद हो चुका है। जब इस मामले पर स्कूल प्राचार्य से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

कलेक्टर को सौंपा गया था ज्ञापन

इससे पहले सेमरा ग्राम पंचायत की सरपंच, जनप्रतिनिधियों और छात्रों ने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर हिंदी माध्यम को बनाए रखने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने पर अब ग्रामीणों और छात्रों ने आंदोलन का रास्ता चुना। चक्का जाम की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर जाम समाप्त किया गया।

छात्र बोले– भविष्य के साथ खिलवाड़

छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि हिंदी माध्यम को बंद करना ग्रामीण छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है। वे अंग्रेज़ी माध्यम में सहज नहीं हैं और इससे उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। वे चाहते हैं कि हिंदी माध्यम को पहले की तरह सुचारु रूप से संचालित किया जाए। अब सभी की निगाहें प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि ग्रामीण छात्रों की आवाज़ को कितना महत्व दिया जाता है।

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