गौरेला पेंड्रा मरवाही: ऑयल पाम की खेती से किसानों को कम मेहनत एवं कम लागत में अधिक मुनाफा होगा. इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और उनके जीवन में खुशहाली आएगा. जिले के प्रभारी एवं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और मरवाही विधायक प्रणव कुमार मरपची ने आज गौरेला विकासखण्ड के करगीखुर्द में ऑयल पाम के पौधे लगाकर किसानों को इसके फायदे बताए. उल्लेखनीय है कि खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय में वृद्धि करने और खाद्य तेलों का आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन शुरू किया गया है.
इस अभियान के तहत वन अधिकार पट्टा धारक 13 आदिवासी किसानों के 15 हैक्टेयर क्षेत्र में पहली किश्त में 1250 ऑयल पाम के पौधे लगाए गए. यहां प्रति हैक्टेयर 143 के मान से 2145 पौधे लगना है. इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष समीरा पैकरा एवं उपाध्यक्ष राजा उपेन्द्र बहादुर सिंह, कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी, पुलिस अधीक्षक एस आर भगत, वनमण्डलाधिकारी ग्रीष्मी चांद, सीईओ जिला पंचायत मुकेश रावटे, उप संचालक उद्यानिकी कमलेश दीवान सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, अनेक जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं किसान उपस्थित थे.
उप संचालक उद्यानिकी ने ऑयल पाम की खेती के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से मिलने वाली अनुदान एवं फायदे के बारे में विस्तार से बताया. किसानों को ऑयल पाम की खेती से संबंधित पंपलेट भी वितरित किया गया. ऑयल पाम की खेती से वार्षिक उत्पादन प्रति एकड़ 10 से 12 टन, न्यूनतम मजदूर की आवश्यकता, ऑयल पाम पौधे में बीमारी होने की संभावना कम होती है. अतः दवाई पर होने वाले खर्च कम है. इसका उत्पादन 4 वर्ष से प्रारंभ हो जाता है. इसमें प्रारंभिक वर्षों में अन्तवर्ती फसलें उगाई जा सकती है तथा बाद के वर्षों में छाया में होने वाली फसलें उगाई जा सकती है.
फसलोत्पाद बिक्री हेतु बाजार उपलब्ध, प्रियूनिक कंपनी से खरीदी का करार होता है. ऑयल पाम खेती के फायदों में खरीदी हेतु सरकार द्वारा मूल्य का निर्धारण, फसल उत्पादन खरीदी हेतु संग्रहण केन्द्र की सुविधा, दलालों (कमीशन एजेंट) से छुटकारा, मुफ्त तकनीकी सहायता, विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण, परिक्षण व निरंतर सहयोग, बहुवर्षीय फसल 25 से 30 वर्ष तक लगातार उत्पादन, ऑयल पाम की खेती के रखरखाव हेतु सरकार की तरफ से आर्थिक (सब्सिडी) सहायता आदि शामिल है.