उमरिया : जंगल की गूंज, हवा में मंडराते गिद्ध और घात लगाकर चलते बाघ—ये दृश्य किसी रोमांचक सफारी से कम नहीं. मगर इस बार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों की नजर कुछ खास पर है. 17 से 19 फरवरी तक यहां गिद्ध गणना अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सूर्योदय के साथ ही विशेषज्ञ और वनकर्मी जंगल के हर कोने में नजर गड़ाए बैठे हैं.
पार्क के संयुक्त संचालक पी.के. वर्मा ने बताया कि पिछले साल 2024 में यहां गिद्धों की संख्या 300 थी और इस बार उम्मीद की जा रही है कि यह आंकड़ा और बढ़ेगा. गिद्धों की मौजूदगी पर्यावरणीय संतुलन के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि ये प्रकृति के सफाईकर्मी माने जाते हैं.
कैमरों की नजर से जंगल की दुनिया
गिद्ध गणना के साथ ही बाघों और अन्य वन्यजीवों की फेस-4 गणना भी शुरू हो गई है. इस बार जंगल की हर हरकत पर पैनी नजर रखने के लिए 650 ट्रैप कैमरे लगाए जा चुके हैं और बाकी कैमरे 15 मार्च तक लग जाएंगे. इन कैमरों से कैद तस्वीरों को वाइल्ड-लाइफ इंस्टीट्यूट, देहरादून भेजा जाएगा, जहां इनका गहन विश्लेषण होगा.
बांधवगढ़ के जंगल को दो हिस्सों में बांटकर यह गणना की जा रही है, ताकि सटीक आंकड़े जुटाए जा सकें. इन कैमरों से बाघों की गतिविधि के साथ अन्य दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति भी दर्ज होगी, जिससे जंगल के रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा.
गिद्धों और बाघों की दुनिया—एक रोमांचक सफर
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है. गिद्धों की मौजूदगी यह संकेत देती है कि यहां का पर्यावरण संतुलित है, और बाघों की गणना यह तय करेगी कि जंगल का राजा अपनी सल्तनत में कितना बेखौफ घूम रहा है.
तो, इस जंगल की दुनिया में इस वक्त हर पत्ते के सरसराने का हिसाब रखा जा रहा है, हर उड़ान को देखा जा रहा है, और हर पंजे के निशान को कैमरों में कैद किया जा रहा है. आने वाले दिनों में इस अभियान के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.