एशिया के दक्षिण पूर्व में भारत से करीब 1721 किलोमीटर दूर 75 लाख की आबादी वाला एक छोटा सा देश. नाम है लाओस (Laos). यह दक्षिण पूर्वी एशिया का इकलौता लैंडलॉक्ड देश है. यानी इस देश की कोई भी सीमा समुद्र से जाकर नहीं मिलती है, नतीजन इसे समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करने के लिए चीन, कंबोडिया, वियतनाम, थाइलैंड या म्यांमार पर निर्भर रहना पड़ता है. इन 5 देशों के साथ लाओस की बॉर्डर है.
पिछले कुछ साल से भारत में इस देश की काफी चर्चा है. कारण… अच्छी नौकरी के लालच में भारतीयों का इस देश में जाना और फिर किसी फर्जीवाड़े का शिकार होकर वहां फंस जाना. लाओस में ऐसे ही एक ट्रैप में पिछले कई महीनों से फंसे 47 भारतीयों को भारतीय दूतावास ने साइबर स्कैम सेंटर्स से छुड़ाया है. ये लोग लाओस के बोकेओ प्रांत में फंसे हुए थे.
यह पहली बार नहीं है, जब इतनी बड़ी तादाद में भारतीयों को लाओस से छुड़ाया गया है. इससे पहले भी ऐसे कई मौके आ चुके हैं. भारतीय दूतावास के मुताबिक अब तक लाओस से ऐसे 635 भारतीयों को बचाया गया है, जो जॉब स्कैम में फंसकर लाओस में प्रताड़ना का शिकार हो रहे थे. आइए आपको बताते हैं कि आखिर ये ‘साइबर स्कैम सेंटर’ क्या है और भारत के लोग इसमें कैसे फंस रहे हैं. लेकिन इससे पहले आपको लाओस से जुड़े कुछ फैक्ट बता देंते हैं.
लाओस का क्षेत्रफल 236,800 km² है. यह देश भारत (3,287,263 km²) से 13 गुना छोटा है, जिसकी आबादी महज 75 लाख है.
2. लाओस उत्तर में चीन, उत्तर पूर्व और पूर्व में वियतनाम, दक्षिण में कंबोडिया, उत्तर पश्चिम में म्यांमार और पश्चिम में थाइलैंड के साथ बॉर्डर शेयर करता है.
3. इस देश की सबसे लंबी बॉर्डर थाइलैंड के साथ है, जो कि 2,161 किलोमीटर लंबी है.
4. लाओस काफी खूबसूरत देशों में शुमार है, इसलिए यहां काफी पर्यटक आते रहते हैं.
5. चीन के कर्ज से लदे इस देश की जीडीपी ग्रोथ इस समय 1 फीसदी से भी कम है.
पासपोर्ट जब्त कर लेते हैं ठग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाओस में साइबर स्कैम करने वाले अपराधी काफी एक्टिव हैं. ये लोग नौकरी के फर्जी विज्ञापन देकर भारत सहित आसपास के देशों से लोगों को अपने देश में बुला लेते हैं. वहां, पहुंचने वाले लोगों का पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है और फिर खेल शुरू होता है साइबर स्कैम के जंजाल का. नौकरी के लालच में लाओस पहुंचने वाले लोग पासपोर्ट जब्त होने के बाद फंस जाते हैं और उनका निकलना मुश्किल हो जाता है.
ऐसे कराते हैं साइबर फर्जीवाड़ा
एशिया के अलग-अलग देशों से नौकरी के लोभ में लाओस पहुंचे लोगों से पहले तो डेटिंग ऐप पर फर्जी फोटो के जरिए लड़की की सोशल मीडिया प्रोफाइल बनवाई जाती है. इसके बाद उन्हें साइबर ठगी करने के लिए कहा जाता है. बुरी तरह फंस चुके लोगों को बकायदा एक टारगेट दिया जाता है. वहां फंसने वाले लोग डेटिंग ऐप पर लड़की बनकर लड़कों से चैट करते हैं. जब उन्हें लगता है कि सामने वाला उनकी बातों में फंस चुका है तो वे उससे क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए तैयार करते हैं. जो भी शख्स अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पाता उसे नरक से भी बदतर प्रताड़ना दी जाती है. खाना-पानी के लिए तक तरसा दिया जाता है.