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GST काउंसिल की हुई बैठक, हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स घटाने को लेकर बनी सहमति, जानिए क्या-क्या हुए फैसले

सोमवार को GST काउंसिल की अहम बैठक हुई. इस बैठक में मुख्य रूप से दो मुद्दों पर चर्चा होनी थीं. हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी की दरें कम करने, और 2000 रुपये से कम के ऑनलाइन (डेबिट और क्रेडिट कार्ड से) ट्रांजेक्शन पर 18% GST लगाने का मामला था. फिलहाल इंश्योरेंस प्रीमियम सस्ता होने नहीं जा रहा है, क्योंकि इस मसले पर अंतिम फैसला अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया है.

इसके अलावा नमकीन पर जीएसटी की दरें 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने का फैसला लिया गया है. साथ ही, कुछ कैंसर की दवाओं पर GST की दरें कम करने पर सहमति बन गई है. मीटिंग के बीच उत्तराखंड के वित्त मंत्री ने बताया कि तीर्थयात्रा पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में हुई इस बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की दर को मौजूदा 18 फीसदी से कम करने पर व्यापक रूप से सहमति हो गई. लेकिन, इस पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में लिया जाएगा. जीएसटी परिषद की अगली बैठक में तौर-तरीके तय किए जाएंगे. इसलिए काउंसिल की बैठक में बीमा प्रीमियम पर GST लगाए जाने के फैसले को टाल दिया गया है. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक नवंबर में होने वाली है.

इसके अलावा चर्चा डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 2000 रुपये तक के छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू जैसे भुगतान एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) पर 18% जीएसटी लगाए जाने को लेकर होने वाले ऐलान पर नजर थी. लेकिन इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है और इस मामले को फिलहाल फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है.

बता दें, जीएसटी परिषद में स्वास्थ्य बीमा पर मौजूदा 18 प्रतिशत जीएसटी दर को कम करने को लेकर व्यापक सहमति बन गई है. टैक्‍स दर को युक्तिसंगत बनाने की केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों की समिति (फिटमेंट कमेटी) ने सोमवार को जीएसटी परिषद के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की. इसमें जीवन, स्वास्थ्य और पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कटौती के आंकड़े और विश्लेषण दिए गए हैं. बैठक में हिस्‍सा लेने के बाद दिल्‍ली की वित्त मंत्री आतिशी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में इस पर मुहर लगाई.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की ये 54वीं बैठक हुई. दिल्ली में हुई इस परिषद की बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री मौजूद थे. फिलहाल पेमेंट एग्रीगेटर्स को 2000 रुपये से कम की राशि के लेनदेन पर जीएसटी का भुगतान करने से छूट है.

सूत्रों के मुताबिक अधिकतर राज्य बीमा प्रीमियम की दरों में कटौती के पक्ष में हैं. अगर जीएसटी दरें कम की जाती हैं तो यह लाखों पॉलिसीधारकों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि प्रीमियम राशि घट जाएंगी. जीएसटी आने से पहले बीमा प्रीमियम पर सेवा कर लगता था.

बता दें, साल 2017 में जीएसटी लागू होने पर सेवा कर को जीएसटी प्रणाली में शामिल कर लिया गया था. बीमा प्रीमियम पर टैक्स लगाने का मुद्दा संसद में भी उठा था. विपक्षी सदस्यों ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने की मांग की थी. यहां तक कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाया था.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री को एक पत्र लिखकर इस टैक्स से राहत देने की अपील की थी, तब से ही विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बनाए हुए हैं. वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संसद में बजट पर चर्चा के बाद अपने जवाब में इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल में उठाने की बात कही थी.

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