वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती की उम्मीद की जा सकती है. क्योंकि जीएसटी काउंसिल अभी जीएसटी रेट स्लैब को सुव्यवस्थित करने पर काम कर रहा है. इसके अलावा, वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू करने के बाद टैक्स रेट्स में पहले से बहुत कमी आई, जो पिछले टैक्स सिस्टम में 15.8 फीसदी से कम करके 11.3 फीसदी किया गया.
उन्होंने कहा कि GST के तहत किसी भ्श्राी वस्तु पर टैक्स बढ़ोतरी का कोई उदाहरण नहीं है. फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि अगर हम पुराने इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम से तुलना करें तो यह 15.8% से गिरकर अब 11.3% हो गई है. सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने एक-एक करके बहुत बारीकी से विचार किया है, ताकि यह देखा जा सके कि रेट्स में कहां कटौती की जा सकती है. साथ ही कुछ टैक्स रेट्स को एक साथ मिलाने पर विचार किया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) के सांसद नदीमुल हक के एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने जीएसटी रेट्स में निरंतर कमी पर फोकस किया गया. उन्होंने कहा, ‘हर राज्य का वित्त मंत्री अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है, ताकि जीएसटी आसान हो सके और नियमों के पालन में कठिनाइयां कम हों.’
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि GST लागू होने के समय कंज्यूमर पर ज्यादा बोझ डाले बिना एवरेज 15.8% टैक्स लगाया जा सकता था. अगर यही रेट होता तो जीएसटी रेट्स आज कम करके 11.3% किया जा सकता था, लेकिन
क्या जीएसटी रेट्स कम होगा?
सांसद नदीमुल हक ने जीएसटी की जटिलता पर चिंता जताते हुए पूछा कि क्या सरकार इनकम टैक्स में छूट के समान टैक्स स्लैब की संख्या में कमी करने पर विचार कर रही है? जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि जीएसटी से संबंधित निर्णय परिषद द्वारा सामूहिक रूप से लिए जाते हैं, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं.
उन्होंने 45वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मंत्रियों के समूह (GoM) के गठन का भी जिक्र किया. कर्नाटक के वित्त मंत्री की अध्यक्षता में गठित इस जीओएम को जीएसटी रेट को सरल बनाने के लिए समीक्षा करने और उसमें बदलाव का प्रस्ताव देने का काम सौंपा गया था.
जीएसटी परिषद का होगा फैसला
जीएसटी रेट्स पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने स्पष्ट किया कि ये निर्णय केवल केंद्र सरकार द्वारा नहीं लिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि यह केवल भारत सरकार का नहीं बल्कि जीएसटी परिषद का सामूहिक निर्णय है. वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि राज्य के वित्त मंत्रियों को अपने राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जीएसटी रेट्स में संशोधन का प्रस्ताव देने और चर्चा करने का अधिकार है. इन प्रस्तावों पर जीएसटी परिषद की बैठकों के दौरान विचार-विमर्श किया जाता है.
हेल्थ इंश्योरेंस पर नहीं घटाई गई थी जीएसटी
जीएसटी परिषद की सबसे हालिया बैठक 21 दिसंबर, 2024 को हुई, जिसके दौरान राज्य वित्त मंत्रियों के पैनल द्वारा महत्वपूर्ण सिफारिशें पेश की गईं. हालांकि कई सिफारिशों पर चर्चा की गई, लेकिन व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दर को घटाकर 5% करने पर कोई फैसला नहीं हुआ.