छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला अस्पताल में मरीज को नर्स की जगह महिला गार्ड द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने की घटना सामने आई है। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और शासन को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने इसे मरीज की जान से सीधा खिलवाड़ बताया और पूछा कि अगर ऐसी लापरवाही से किसी की जान जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने इस मामले को गंभीर मानते हुए गरियाबंद कलेक्टर से शपथपत्र सहित विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में इस तरह की घटनाएं जनता के भरोसे को कमजोर करती हैं और सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं।
मामला 19 अगस्त का है, जब पूर्व पार्षद योगेश बघेल अपने भतीजे को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि वार्ड में एक महिला गार्ड मरीज को इंजेक्शन लगा रही थी। उन्होंने इसका फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। तस्वीर वायरल होते ही कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लिया और सीएमएचओ डॉ. वी.एस. नवरत्न तथा सिविल सर्जन डॉ. यशवंत ध्रुव को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
हाईकोर्ट ने हालांकि इस कार्रवाई को पर्याप्त नहीं माना। अदालत ने टिप्पणी की कि केवल नोटिस जारी करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। यह घटना अस्पताल की कार्यप्रणाली, निगरानी व्यवस्था और पेशेवर जिम्मेदारियों की गहरी विफलता को उजागर करती है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि ऐसी स्थिति में मरीजों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।
शासन की ओर से बताया गया कि मामले की जांच शुरू हो गई है और संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे।
इस पूरे प्रकरण ने न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही की कमी को भी सामने रखा है। कोर्ट की सख्ती से साफ है कि अब जिम्मेदार अधिकारियों को ठोस कदम उठाने होंगे ताकि मरीजों की सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ न हो सके।