‘रातों को नहीं आती नींद, किसी से नहीं कर रहे बात…’, किस हाल में हैं प्लेन क्रैश में अकेले जिंदा बचने वाले विश्वास कुमार?

12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति विश्वास कुमार रमेश के लिए यह अनुभव जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष बन गया है. इस भयावह त्रासदी से उबरने की कोशिश में अब वो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सहायता ले रहे हैं. उनके चचेरे भाई ने जानकारी दी कि विश्वास इस सदमे से बाहर निकलने के लिए नियमित रूप से मनोचिकित्सक से परामर्श ले रहे हैं.

यह घटना उस समय हुई जब लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही पलों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 40 वर्षीय विश्वास जो भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं इस हादसे में जीवित बचने वाले एकमात्र यात्री थे. इस त्रासदी में उनके भाई अजय समेत विमान में सवार 241 यात्रियों की मौत हो गई. इसके अलावा जमीन पर मौजूद 19 लोगों की भी जान गई. इस हादसे ने विश्वास की जिदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया है.

आधी रात में अचानक उठ जाते हैं विश्वास कुमार

सनी जो कि विश्वास के चचेरे भाई हैं उन्होंने बताया, “दुर्घटना की भयावह यादें, चमत्कारिक रूप से बच निकलना, और अपने भाई को खोने का दर्द आज भी विश्वास को अंदर से झकझोर देता है. विदेश में रहने वाले हमारे रिश्तेदार बार-बार फोन करके विश्वास की हालत जानना चाहते हैं. लेकिन वह किसी से बात नहीं करता. अभी भी वह उस हादसे और अपने भाई की मौत के सदमे से पूरी तरह उबर नहीं पाएं हैं. वो अब भी आधी रात में अचानक उठ जाते हैं और फिर दोबारा नींद नहीं आ पाती. दो दिन पहले हम उन्हें एक मनोचिकित्सक के पास ले गए थे, ताकि इलाज शुरू हो सके.

विश्वास के चचेरे भाई ने आगे बताया, “अभी उन्होंने लंदन वापस जाने का कोई फैसला नहीं लिया है, क्योंकि इलाज की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है. 17 जून को विश्वास को अहमदाबाद सिविल अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. उसी दिन डीएनए टेस्ट के बाद उनके भाई अजय का पार्थिव शरीर परिवार को सौंप दिया गया था.

विश्वास और अजय, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश में आने वाले दीव में अपने परिवार से मुलाकात के बाद एयर इंडिया की फ्लाइट से लंदन वापसी के लिए रवाना हुए थे. दुर्घटना के कुछ ही मिनटों बाद एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा बनाए गए और सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कुमार को मलबे से दूर लड़खड़ाते कदमों से एक एम्बुलेंस की ओर बढ़ते हुए देखा जा सकता है. लेकिन विश्वास के लिए उस खौफनाक मंजर की यादों से बाहर निकलना कहीं ज्यादा मुश्किल होगा.

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