Vayam Bharat

समुद्र में व्हेल शार्क की आवाजाही, आवास और प्रवास पर उपग्रह टैगिंग के माध्यम से हुआ वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य

भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र के तट पर दुनिया की सबसे बड़ी मछली, व्हेल शार्क, मछली की इस दुर्लभ प्रजाति के अनुकूल कारकों और जैविक आवश्यकताओं के कारण गुजरात के पानी में रहना पसंद करती है. व्हेल शार्क संरक्षण परियोजना के तहत पांच (5) उपग्रह टैग तैनात किए जाने हैं, जो वन विभाग, गुजरात राज्य और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य इस विशाल दुर्लभ के संरक्षण और प्रजनन और परिसंचरण पैटर्न को समझना है. गुजरात के तट पर मछलियाँ, जिनमें से यह दूसरा सैटेलाइट टैग सफलतापूर्वक स्थापित हो चुका है.

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उप वन संरक्षक, जूनागढ़ वन विभाग, जूनागढ़ अक्षय जोशी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में दिनांक 18 अप्रैल 2024 को सुत्रापाड़ा मछली पकड़ने के बंदरगाह से 06 किमी दूर मछली पकड़ने के जाल में गलती से फंसी 30 फीट लंबी मादा व्हेल शार्क को बचाव अभियान के माध्यम से सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया और SPOT 257D, PTT ID-253483 सैटेलाइट टैग के साथ टैग किया गया.

वेरावल के रेंज वन अधिकारी की एक टीम और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की एक फील्ड टीम ने व्हेल शार्क पर एक उपग्रह ट्रांसमीटर स्थापित करने के लिए काम किया. इस प्रक्रिया को पूरा करने और समुद्री वन्यजीवों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में समुद्र में छोड़ने में 35 मिनट का समय लगा. 2011 और 2017 के बीच, जूनागढ़ वन विभाग और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) द्वारा व्हेल शार्क संरक्षण परियोजना के तहत 8 अलग-अलग उपग्रह टैग स्थापित किए गए थे. इस वैज्ञानिक शोध कार्य के माध्यम से गुजरात के समुद्र में व्हेल शार्क की आवाजाही और उनके आवास के संबंध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है.

व्हेल शार्क के संरक्षण और प्रजनन के लिए गुजरात में समन्वित व्हेल शार्क संरक्षण परियोजना पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर भारत के समुद्री वन्यजीवों के सफल प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. जिसमें टाटा केमिकल्स लिमिटेड के साथ गुजरात राज्य वन विभाग और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयास शामिल हैं. गुजरात के समुद्री किसानों और उसके कर्मचारियों के सहयोग से विशेष योगदान और सक्रिय भागीदारी हासिल की जा रही है. परिणामस्वरूप, गुजरात के तट पर चल रही इस व्हेल शार्क संरक्षण परियोजना के तहत, पिछले दो दशकों के दौरान मछली पकड़ने के जाल में गलती से फंसी 930 से अधिक व्हेल शार्क को गुजरात के समुद्री किसानों ने अपना कीमती जाल काटकर बचाया है और उनकी जान बचाई है. नेट के नुकसान के लिए विभाग की ओर से उन्हें आर्थिक मुआवजा दे दिया गया है.

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