बीजापुर : शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी उसूर के अभयदान की वजह से पुसबाका प्रधान पाठक की खूब मौज है.नक्सल आतंक को ढाल बनाकर शिक्षक अपने मूल स्कूलों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं.आरोप ये हैं कि प्रधानपाठक पिछले छह महीने से बिना स्कूल गए वेतन उठा रहे हैं.इस मामले में एक बात तो साफ कर दी है कि शिक्षकों ना तो नियमों की कद्र है और ना ही एक्शन का डर.तभी तो बिना बच्चों को पढ़ाए हर महीने सरकारी पैसा उड़ाना उनकी आदत बन गई है. आईए आपको बताते हैं आखिर वो महान शिक्षक कौन हैं.
स्कूल से गुल, वेतन लेते हैं फुल : बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक में एक मामला प्रकाश में आया है.प्राथमिक शाला पुसबाका के प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने 6 माह से स्कूल में ज्वाइनिंग नहीं दिया है.इसके बाद भी वो वेतन लेकर मौज कर रहे हैं.वेतन के पैसों से बिरयानी खाई जा रही है,खूब पार्टी की जा रही है.लेकिन जिस काम के लिए पैसा लिया जा रहा है वो काम नहीं हो रहा है.पूरा स्कूल बिना प्रधानपाठक के ही संचालित हो रहा है.
प्रधान पाठक की लीला :आपको बता दें कि बीजेपी शासनकाल में पुसबाका स्कूल को बंद किया गया था. शिक्षकों को दूसरे जगह मर्ज किया गया.लेकिन जब कांग्रेस सरकार आई तो स्कूल दोबारा खुला. पुसबाका स्कूल में एक प्रधान पाठक, सहायक शिक्षक और शिक्षा दूत की पदस्थापना की गई. जिसके तहत प्रधान पाठक की जिम्मेदारी रामकृष्ण पेदमपल्ली को दी गई. लेकिन पदस्थापना के बाद भी प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने ज्वाइनिंग नहीं दी.जिसका जीता जागता उदाहरण ये हाजिरी रजिस्टर है जिसमें रामकृष्म पेदमपल्ली का नाम नहीं है.फिर भी पेदमपल्ली को पैसा मिल रहा है.
जिम्मेदार बोले नियम के तहत दिया जा रहा वेतन : खंड शिक्षा अधिकारी संतोष गुप्ता को प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के छह माह तक गैरहाजिर रहने के बावजूद वेतन दिए जाने के संदर्भ में अवगत कराया गया तो संतोष गुप्ता ने कहा कि रामकृष्ण पेदमपल्ली ने ज्वाइनिंग दे दिया है. इसलिए उनका वेतन दिया जा रहा है.
वेतन आहरण की जांच जरूरी : खंड जिला शिक्षाधिकारी चाहे जो भी कहे लेकिन हाजिरी रजिस्टर झूठ नहीं बोलती.अब ऐसा सवाल है कि दैनंदिनी में हस्ताक्षर नहीं है ना ही सीएससी का वेतन प्रमाणीकरण नहीं है तो वेतन कैसे मिले?. स्कूलों के निरीक्षण में शिक्षा विभाग संकुल शिक्षकों की पदस्थापना करती है. संकुल शिक्षक स्कूलों का भ्रमण करते हैं फिर उपस्थित -अनुपस्थित की जानकारी समेत वेतन प्रमाण पत्र (पे-डाटा) देते हैं. इसके बाद ही शिक्षकों का वेतन क्लियर होता है. लेकिन प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के वेतन आहरण पंजी पर हस्ताक्षर ही नहीं है.तो फिर वेतन कैसे जा रहा है ये एक बड़ा सवाल है.