Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पुलिस के नाम पर वसूली करने वाले गैंग का खुलासा हुआ है. खाकी वर्दी में नकली पुलिस पकड़ी गई है. क्राइम ब्रांच ने सागर से आए चार नकली पुलिस वालों को पकड़ा है. दरअसल, आरोपियों की फर्जी पुलिस बनकर हाईवे पर चेकिंग करने की तैयारी थी. आरोपी अपने मंसूबों को कामयाब कर पाते, उससे पहले पुलिस के हत्थे चढ़ गए. क्राइम ब्रांच ने दबिश देकर गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया.
फिलहाल पुलिस आरोपियों से पछताछ कर रही है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हाईवे पर नकली चेकिंग लगाकर वाहनों से पैसों की वसूलने की तैयारी कर रहे थे. आरोपियों के पास से पुलिस ने सायरन, लाल बत्ती वाली स्कॉर्पियो और नकली वर्दी, फर्जी आई कार्ड व फर्जी नियुक्ति पत्र बरामद किए हैं. इस पूरी गैंग का मास्टरमाइंड सागर निवासी शिवम चतुर्वेदी बताया जा रहा है. मास्टरमाइंड ग्वालियर के मेट्रो टॉवर अपार्टमेंट में किराए से रह रहा था.
क्राइम ब्रांच से हुई थी शिकायत
वहीं CSP नागेंद्र सिकरवार ने बताया कि नाका चंद्रवदनी निवासी कंप्यूटर की दुकान चलाने वाले वैभव पाल ने क्राइम ब्रांच को शिकायत की थी कि वर्दी का रौब दिखाकर कुछ पुलिस वालों ने फर्जी आई कार्ड और नियुक्ति पत्र बनवाए हैं. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और त्वरित कार्रवाई करते हुए कंप्यूटर संचालक की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने दबिश देकर सभी आरोपियों को पकड़ लिया.
नौकरी के नाम पर 25 लाख रुपए ठग लिए
अभी तक आरोपियों से 20 से ज्यादा लोगों से 25 लाख से अधिक रुपए नौकरी के नाम पर ठगने की जानकारी मिली है. जांच में यह भी पता चला कि शिवम खुद को टीआई बता रहा था, जबकि पवन और नीरज खुद को कॉस्टेबल बताते थे और रविंद्र ड्राइवर था. दो माह पहले सागर से चारों युवक आए थे. शहर में अलग-अलग इलाकों में घूमते थे. बेरोजगार युवकों को पुलिस में नौकरी लगवाने का झांसा देते थे. जाल में फंसाने वाले लोगों से पैसे वसूलते थे.
फिलहाल क्राइम ब्रांच के अधिकारी पकड़े गए चारों आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह फर्जीवाड़ा पहली बार किया गया या पहले भी होते रहे. ग्वालियर एसएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि मामले की जांच पूरी गंभीरता से की जा रही है.