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नक्सल प्रभावित बस्तर में गरीब छात्रों के लिए मददगार बनी ज्ञानगुड़ी, पहले ही बैच में 64 बच्चों ने किया नीट क्वालीफाई

जगदलपुर। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिला समेत ग्रामीण अंचल के मजदूर किसान के सपने को ज्ञानगुड़ी साकार कर रही है। ज्ञानगुड़ी कोचिंग सेंटर से निश्शुल्क कोचिंग लेकर 64 बच्चों ने नीट क्वालीफाई किया है। जगदलपुर बस्तर से नक्सल प्रभावित मटेनार, जिला दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर के बच्चों ने नीट क्वालीफाई कर डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया है। बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. निर्देशन में संचालित ये कोंचिग संचालित की जा रही है।

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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गरीब किसानों के बच्चों ने मुख्यमंत्री, विधायक, कलेक्टर और कमिश्नर को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर बच्चों के साथ प्रभारी अलेक्जेंडर चेरियन, श्रीनिवास राव, मनीष श्रीवास्तव, संजीव विश्वास, देवेश पानीग्रही को शुक्रवार को कलेक्टर बस्तर के साथ एस पी बस्तर शलभ सिन्हा, सीईओ जिला पंचायत प्रकाश सर्वे ने भी बधाई दी ।

पहले ही बैच से निकले 64 बच्चे

कलेक्टर ने बताया कि 24 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के आतिथ्य में बस्तर के समस्त जनप्रतिनिधियों ने ज्ञानगुड़ी दया परिसर का उद्घाटन किया था और आशा जताई थी कि आवश्यकता मंद और गरीब बच्चे यहां निश्शुल्क कोचिंग लेकर डाक्टर ही नहीं बड़े पदों पर पहुंचेंगे। ज्ञानगुड़ी के पहले बैच के 64 बच्चे एक साथ नीट क्वालीफाई कर उनके सपनों को साकार किया है।

भूतपूर्व विधायक भीमा मंडावी की हत्या जहां हुई थी, उस क्षेत्र का लख्खूराम पोड़ियाम हो या बंगोली गांव जहां पहला नक्सली आईईडी ब्लास्ट हुआ था उस क्षेत्र का समीर मरकाम हो, चाहे मजदूरी किसानी करने वाले गरीब बच्चे हो वे सब अपने सपनों को पंख दे रहे है। अपने लक्ष्य को पहुंचने वाले ऐसे बच्चे मुख्यमंत्री, विधायक, कलेक्टर, कमिश्नर को धन्यवाद देने कलेक्टर आफिस पहुंचे थे। जन प्रतिनिधियों के साथ कमिश्नर, बस्तर श्याम धावड़े, संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव, जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान, सभी ने इस सफलता के लिए बधाई दी है।

इलाज के अभाव में नाना की हुई थी मौत, अब नातिन बनेगी डॉक्टर

कलेक्टर से मिलने पहुंची नीट क्वाली फाई करने वाली एश्वर्या राय ने कलेक्टर ने अपने सफलता की कहानी बताते हुए रोने लगी। उन्होंने बताया कि मैं एक ग्रामीण क्षेत्र की रहने वाली हूं। मेरे नाना को समय डॉक्टर नहीं मिलने की वजह से वर्षों पहले मौत हो गई थी, उस समय मैने सोचा था कि अगर मैं डॉक्टर बन जाउंगी तो ऐसे लोगों को निश्शुल्क इलाज करूंगी। हालांकि पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से दिक्कतें आ रही थीं, लेकिन इसी दौरान ज्ञानगुंडी खुलने की जानकारी मिली तो हमने भी इच्छा जताई और आकर कोचिंग लिया और पहली बार में ही सफलता मिली है, और मैं डाक्टर बन कर सभी गरीब और बेसहारा का इलाज करूंगी।

अपने आप को मत भूलना

कलेक्टर ने नीट क्वालीफाई करने वाले बच्चों से कहा कि अपने आप को कभी मतभूलना, क्यों कि जहां से निकलकर आए हो वहीं जाना पड़ेगा। इसलिए अपने मां-बाप और गुरू को कभी भुलना मत, क्यों कि जो लोग अपने आप को भूल जाते हैं, वे सफल होकर भी असफल रहते हैं, उन्होंने कहा कि आने वाले समय ज्ञानगुड़ी से कोचिंग लेकर बच्चे अन्य प्रमुख पदों पर तैनात होंगे। उन्होंने कहा कि ज्ञानगुड़ी जरूरतमंद के लिए ज्ञान का पिटारा लेकर आया है, इसका लाभ प्रदेश के सभी लोग ले सकते है।

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