खूबसूरत और सिल्की बाल हर किसी का सपना होते हैं.बालों का स्टाइल आपके लुक को पूरी तरह बदल सकता है. अगर आप भी अपने बालों को स्ट्रेट और चमकदार बनाना चाहती हैं, तो हेयर रिबॉन्डिंग और स्मूदनिंग जैसे ट्रीटमेंट्स के बारे में जरूर सुना होगा. ये ट्रीटमेंट आजकल मार्केट में काफी पॉपुलर हैं और इन्हें कई महिलाएं ले भी रही हैं. लेकिन अक्सर लोग इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि इन दोनों में फर्क क्या है और कौन सा ट्रीटमेंट उनके बालों के लिए सही रहेगा.
आजकल की बिजी लाइफस्टाइल, पॉल्यूशन और गलत खानपान के कारण बाल अपनी नैचुरल शाइन खो देते हैं. ऐसे में हेयर ट्रीटमेंट्स मददगार साबित हो सकते हैं. हालांकि, रिबॉन्डिंग और स्मूदनिंग के बीच सही ऑप्शन चुनने के लिए इनके फायदों और प्रोसेस को समझना जरूरी है. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि दोनों में क्या अंतर हैं और कौन सा ट्रीटमेंट आपके बालों के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं.
हेयर रिबॉन्डिंग और स्मूदनिंग में क्या फर्क है?
हेयर रिबॉन्डिंग
ये एक केमिकल ट्रीटमेंट है, जिसमें बालों की नैचुरल शेप को पूरी तरह बदल दिया जाता है. इस प्रोसेस में बालों के नेचुरल बोंड्स को तोड़ा जाता है और उन्हें एकदम स्ट्रेट कर नया बोंड बनाया जाता है.इस ट्रीटमेंट से बाल लंबे समय तक एकदम स्ट्रेट रहते हैं. ये ट्रीटमेंट उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके बाल बहुत घुंघराले या फ्रिज़ी हैं.
प्रोसेस: सबसे पहले बालों पर केमिकल लगाया जाता है जो उनके नेचुरल बोंड को तोड़ता है. फिर बालों को स्ट्रेट किया जाता है और एक न्यूट्रलाइजर लगाया जाता है, जो नए बोंड को सेट करता है. इसके बाद बाल एकदम सिल्की और पिन-स्ट्रेट दिखते हैं. बता दें कि इस प्रोसेस में काफी समय लगता है.
कमियां: इस प्रोसेस में इस्तेमाल होने वाले केमिकल बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे बाल कमजोर हो सकते हैं और स्प्लिट एंड्स की समस्या बढ़ सकती है.
2. हेयर स्मूदनिंग
हेयर स्मूदनिंग एक ऐसा ट्रीटमेंट है जो बालों को फ्रिज़-फ्री, सिल्की और मैनेजेबल बनाता है. ये बालों की नैचुरल शैप को पूरी तरह नहीं बदलता, बल्कि उसे थोड़ा स्मूद और स्ट्रेट करता है.
प्रोसेस: इस प्रोसेस में सबसे पहले बालों पर कैरोटीन युक्त प्रोडक्ट्स लगाए जाते हैं. फिर बालों को ब्लो-ड्राई और आयरन किया जाता है, जिससे वे स्मूद और चमकदार दिखें. आखिर में एक न्यूट्रलाइजर का इस्तेमाल किया जाता है. ये बालों को नैचुरल लुक देता है.बाल कम फ्रिज़ी और ज्यादा सिल्की लगते हैं.ये रिबॉन्डिंग की तुलना में बालों के लिए कम नुकसानदायक है.
कमियां: ये ट्रीटमेंट लंबे समय तक नहीं टिकता है. 3-6 महीने के बाद आपको इसे फिर से कराना पड़ सकता है.
किसे चुनना है ज्यादा फायदेमंद?
अगर आपके बाल बहुत ज्यादा घुंघराले हैं तो रिबॉन्डिंग आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है क्योंकि ये बालों को पूरी तरह स्ट्रेट करता है. वहीं अगर आपके बाल हल्के वेवी हैं तो स्मूदनिंग बेहतर है, क्योंकि ये बालों को नैचुरल और चमकदार लुक देता है. इन ट्रीटमेंट्स को अपनी बालों की हेल्थ के अनुसार भी चुना जा सकता है. जैसे अगर आप बालों को ज्यादा केमिकल्स से बचाना चाहते हैं, तो स्मूदनिंग ज्यादा सुरक्षित ऑप्शन है. रिबॉन्डिंग का असर स्मूदनिंग की तुलना में लंबे समय तक रहता है.