भोपाल। अल्लाह हुम्मा लब्बैक… की पुकार लगाते हुए दुनियाभर से सऊदी अरब पहुंचे हाजी हज के 5 दिन के मुख्य अरकान में जुट गए हैं। शुक्रवार से शुरू होने वाले इन अहम अरकान के लिए हाजियों की मक्का से रवानगी का सिलसिला गुरुवार से शुरू हो गया है। इधर राजधानी भोपाल में भी ईद उल अजहा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 17 जून को मनाए जाने वाले त्यौहार के लिए ईदगाह समेत शहर की मस्जिदों में तैयारी कर ली गई है। साथ ही कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद फरोख्त भी तेज हो गई है।
हज 2024 में शामिल दुनियाभर के लाखों लोगों में इस बार प्रदेश के करीब 8 हजार हाजी शामिल हैं। यह तादाद अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा माना जा रहा है। प्रदेश हज कमेटी अध्यक्ष रफत वारसी ने बताया कि सेंट्रल हज कमेटी ने प्रदेश को शुरुआती कोटा ही 7 हजार के करीब जारी किया था। जिसके बाद अन्य प्रदेशों से मिले अतिरिक्त कोटे से भी हाजियों को सऊदी अरब जाने का मौका मिला है।
यह करेंगे हाजी 5 दिन
हज के पहले दिन हाजी तवाफ (परिक्रमा) करते हैं। तवाफ करते हुए हाजी सात बार काबा के चक्कर काटते हैं। इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाए जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजिरा अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश में सात बार सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच चली थीं। इसके बाद हाजी मक्का से आठ किलोमीटर दूर मीना शहर इकट्ठा होते हैं। यहां पर वे रात में नमाज अदा करते हैं। हज के दूसरे दिन हाजी अराफात पहुंचते हैं, जहां वे अल्लाह से अपने गुनाह माफ करने की दुआ करते हैं। फिर वे मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होते हैं। वहां पर खुले में दुआ करते हुए पूरी एक रात ठहरते हैं।
शैतान को मारते हैं कंकरी
हज पर जाने वाले लोग यात्रा के तीसरे दिन जमारात पर कंकरी फेंकने के लिए दोबारा मीना लौटते हैं। जमारात तीन पत्थरों का एक स्ट्रक्चर है, जिसे शैतान और जानवरों की बलि का प्रतीक समझा जाता है। दुनियाभर के अन्य मुस्लिमों के लिए यह ईद का पहला दिन होता है। इसके बाद हाजी अपना मुंडन कराते हैं या बाल काटते हैं। इसके बाद के दिनों में हाजी मक्का में दोबारा तवाफ और सई करते हैं और फिर जमारत लौटते हैं। मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजियों को हज यात्रा पूरी करने के लिए आखिरी बार तवाफ करनी पड़ती है। हज यात्रा के अंतिम दिन ईद-अल-अजहा मनाया जाता है।इस दिन जानवर की बलि देने और उसके मांस का एक हिस्सा गरीबों में बांटने की परंपरा होती है। यह परंपरा पैगंबर इब्राहिम की याद में निभाई जाती है।
यहां बकरों की खरीदी
17 जून को मनाई जाने वाली ईद के लिए राजधानी भोपाल में बकरों की खरीदी तेज हो गई है। शहर के बुधवारा, जहांगीराबाद, बड़ा बाग, आरिफ नगर, भानपुर, सुभाष फाटक समेत कई स्थानों पर बकरों के बड़े बाजार लग रहे हैं। बकरों की खरीदी बिक्री में सक्रिय दानिश खान ने बताया कि इस साल बकरों की कीमतें पिछले साल से डेढ़ गुना तक बढ़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में कुर्बानी लायक बकरे की न्यूनतम कीमत 15 से 17 हजार रुपए तक है। जबकि अधिकतम कीमत लाखों रुपए में है।
पहली नमाज ईदगाह में
काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी ने भोपाल में ईद की नमाज का समय निर्धारित कर दिया है। इसके मुताबिक पहली नमाज ईदगाह में सुबह 7 बजे अदा की जाएगी। इसके बाद जामा मस्जिद में सुबह 7.15 बजे, ताजुल मसाजिद में सुबह 7.30 बजे, मोती मस्जिद में सुबह 7.45 बजे, मस्जिद बिल्किस जहां में सुबह 8 बजे ईद की नमाज होगी। ईदगाह में शहर काजी नमाज अदा कराएंगे। इससे पहले वे त्यौहार के दौरान स्वच्छता का विशेष ख्याल रखने को लेकर ताकीद भी करेंगे। नमाज के बाद देश दुनिया में अमन शांति के लिए दुआ भी कराएंगे।