हनुमान भक्त शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में हनुमान चालीसा पढ़ी होगी, मूंग की खेती की, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने और क्या-क्या कहा?

इंडियन एयरफोर्स स्पेस कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन पी. वी. नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने शुभांशु शुक्ला को लेकर कहा कि मुझे यह भी बताया गया कि आप (शुभांशु शुक्ला) बजरंग बली के भक्त भी हैं. और आपने वहां भी कई बार हनुमान चालीसा को पढ़ा होगा. आज हनुमान जी का एक ऐसा भक्त हमारे बीच मौजूद है जो कि आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि मेरा तो यह मानना है कि ये केवल विज्ञान की जीत नहीं है, बल्कि यह विश्वास के साहस की गूज है. यह खाली कोई एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक साधना का संदेश है, ये एक साधना यात्रा है. यह केवल भारत का ही गौरव नहीं है बल्कि संपूर्ण मानवता की प्रगति का एक प्रमाण हैं. जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह स्पेस यात्रा का अंत नहीं है बल्कि यह एक शुरुआत है. भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अभी और यात्रा करनी है. यह मानव सभ्यता की सामूहिक यात्रा का एक पड़ाव है.

 

वायु सेना की वर्दी में मानवता का प्रतिनिधित्व

उन्होंने आगे कहा कि वो भले ही वायु सेना की वर्दी पहनते हों, लेकिन जब शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में गए तो वो सिर्फ भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि बन गए. मैं कह सकता हूं कि सिविल क्षेत्र में आपका (शुभांशु शुक्ला) योगदान इतिहास में दर्ज होगा. मुझे यह भी बताया गया है कि शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में खेती भी की है. मैं बता दूं कि ये भी किसान परिवार से आते हैं. आपके (शुभांशु शुक्ला) अंदर का किसान स्पेस में जाकर भी बाहर नहीं निकला.

अंतरिक्ष में खेती, किसान की अंतरिक्ष यात्रा

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है. यह बात हम सब जानते हैं, लेकिन मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि हमारा कोई किसान एक दिन अंतरिक्ष में जाकर मेथी और मूंग की खेती करेगा. आपका यह अनुभव हमारे आने वाले अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यंत मददगार साबित होगा. आज हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहां अंतरिक्ष केवल सैन्य शक्ति या तकनीकी उपलब्धियों का प्रतीक नहीं रह गया. यह मानव सभ्यता की सामूहिक यात्रा में एक नया मील का पत्थर है. भारत ने सदैव ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है और आज हमारे वैज्ञानिक, हमारे अंतरिक्ष यात्री, इस संदेश को अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं.

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