हनुमान जयंती 2025: अयोध्या में भक्ति की गूंज, हनुमान गढ़ी में श्रद्धालुओं का सैलाब

अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में शनिवार को हनुमान जयंती की भव्य धूम देखने को मिली। अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर में देशभर से हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य हनुमान जी के दर्शन के लिए उमड़े। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं. जय श्रीराम और जय हनुमान के जयकारों से समूचा मंदिर परिसर गूंज उठा.

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हनुमान गढ़ी, अयोध्या के सबसे महत्वपूर्ण और पूज्यनीय स्थलों में से एक है, मान्यता है कि यहां हनुमान जी आज भी रामलला की सेवा में लीन हैं, यही कारण है कि रामजन्मभूमि में दर्शन से पूर्व श्रद्धालु हनुमान गढ़ी में दर्शन करना आवश्यक मानते हैं.

हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर को भव्य ढंग से सजाया गया था, फूलों, रंग-बिरंगी लाइटों और धार्मिक झांकियों से मंदिर का वातावरण अत्यंत मनोहारी हो गया था। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में महाआरती के साथ पूजन-अर्चन प्रारंभ हुआ। मंदिर के पुजारियों ने विधिवत मंत्रोच्चार के साथ हनुमंत लला की पूजा की.

श्रद्धालुओं ने भगवान हनुमान के चरणों में पुष्प अर्पित कर अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना की। कोई संकटमोचन की गदा का प्रतीक लेकर आया, तो कोई राम नाम की माला जपता हुआ भक्तिभाव में डूबा रहा, भक्तों में महिलाओं, युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों का विशेष उत्साह देखने को मिला.

यूपी ही नहीं, बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली समेत कई राज्यों से श्रद्धालु इस पावन अवसर पर अयोध्या पहुंचे थे, मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे, सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे ताकि कोई अव्यवस्था न फैले.

हनुमान जयंती को लेकर अयोध्या के बाजारों में भी रौनक रही, हनुमान जी की मूर्तियाँ, तस्वीरें, पूजा सामग्री की दुकानों पर खूब भीड़ रही। जगह-जगह भंडारे और प्रसाद वितरण के कार्यक्रम आयोजित किए गए.

हालांकि उत्तर भारत में परंपरागत रूप से हनुमान जयंती कार्तिक मास की छोटी दीपावली को मनाई जाती है, लेकिन दक्षिण भारत में यह चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसी परंपरा के अनुसार शनिवार को अयोध्या में यह आयोजन धूमधाम से किया गया.

हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने बताया कि हनुमान जयंती के अवसर पर भक्तों की सेवा ही सच्ची सेवा है, उन्होंने कहा कि हनुमान जी केवल शक्ति और भक्ति के प्रतीक ही नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और विनम्रता का संदेश देने वाले आराध्य हैं.

संकटमोचन की पूजा से भक्तों को न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में आने वाले विघ्न-बाधाओं से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है.

हनुमान गढ़ी के आसपास मौजूद धर्मशालाएं, गेस्ट हाउस, और लंगर सेवाओं में भी भारी भीड़ रही, कई श्रद्धालु रातभर अयोध्या में ही रुके ताकि सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पूजा कर सकें.

रामनगरी का यह आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के लिए एक अनुपम अनुभव बन गया, जयकारों की गूंज, घंटियों की ध्वनि और भक्तों की आस्था ने हनुमान जयंती को एक भव्य और अलौकिक पर्व में परिवर्तित कर दिया.

हनुमान गढ़ी से लौटते समय श्रद्धालुओं की आंखों में संतोष और चेहरे पर भक्ति की चमक साफ नजर आ रही थी, हनुमान जयंती 2025 अयोध्या में केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और संस्कृति का महापर्व बन गया.

 

 

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