मऊगंज जिले का हनुमना जनपद: अधर में लटका विकास, जनता पिस रही; अध्यक्ष लापता, सचिव बेहाल

मऊगंज : जिले का हनुमना जनपद इन दिनों गहरे प्रशासनिक संकट से जूझ रहा है, जिसका सीधा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.अधिकारी-कर्मचारियों की कथित बेलगाम कार्यशैली, सचिवों और सरपंचों का चार माह से रुका मानदेय, और भाजपा-कांग्रेस की खींचतान ने क्षेत्र के विकास को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है.आलम यह है कि जनपद अध्यक्ष गोविंद नारायण तिवारी अपने दफ्तर से नदारद हैं और उनकी कुर्सी खाली पड़ी है, जिससे जनहित के कार्य ठप्प पड़े हैं.

मानदेय के अभाव में बेहाल सचिव-सरपंच

आरोप है कि हनुमना जनपद के सचिव और सरपंच लगभग  पिछले चार माह से अपने मानदेय के लिए तरस रहे हैं.यह स्थिति उनकी आर्थिक रीढ़ तोड़ रही है और उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.मानदेय का नियमित भुगतान न होने से जहां पंचायत स्तर पर होने वाले विकास कार्यों में गतिरोध उत्पन्न हो गया है, वहीं जमीनी स्तर पर जनता की समस्याओं का समाधान भी अधर में है। एक ओर सरकारें सुशासन और पारदर्शिता की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को अपने ही हक के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

अधर में लटका कार्य, जनता परेशान

अधिकारी-कर्मचारियों की उदासीनता और जवाबदेही की कमी ने हनुमना जनपद में विभिन्न विकास कार्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर मनरेगा तक के कार्य धीमी गति से चल रहे हैं या पूरी तरह से ठप्प पड़ गए हैं.ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई, पानी की समस्या, सड़क निर्माण जैसे मूलभूत मुद्दे अनसुलझे पड़े हैं, जिससे जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है.नागरिकों का कहना है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर किसके पास जाएं, जब जिम्मेदार ही अपनी ड्यूटी से विमुख हैं.

राजनीतिक दलदल में फंसा विकास

मऊगंज जिले में भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का सीधा असर हनुमना जनपद के कामकाज पर दिख रहा है.सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन इसका नतीजा केवल जनता का नुकसान हो रहा है.विकास परियोजनाओं को लेकर राजनीतिक खींचतान इस कदर बढ़ गई है कि अधिकारी भी असमंजस की स्थिति में हैं, जिसका खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है.

अध्यक्ष की खाली कुर्सी, बेलगाम व्यवस्था

जनपद अध्यक्ष गोविंद नारायण तिवारी की लगातार अनुपस्थिति ने हनुमना जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था को पूरी तरह से चरमरा दिया है.उनकी कुर्सी अक्सर खाली पाई जाती है, जिससे महत्वपूर्ण निर्णय लेने और कार्यों को गति देने में बाधा आ रही है। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रह गया है, जिसका परिणाम बेलगाम कार्यशैली और भ्रष्टाचार के रूप में सामने आ रहा है.

सचिवों को दोहरा प्रभार, पंचायतें सचिव विहीन:

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई सचिवों को दो-दो ग्राम पंचायतों का प्रभार दे दिया गया है। इससे एक सचिव के लिए दोनों पंचायतों के कार्यों को प्रभावी ढंग से संभालना असंभव हो गया है.परिणामस्वरूप, कई ग्राम पंचायतें तो पूरी तरह से सचिव विहीन चल रही हैं, जिससे वहां के निवासियों को आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे बुनियादी दस्तावेजों को बनवाने में भी भारी परेशानी हो रही है। यह स्थिति ग्रामीण प्रशासन की कमर तोड़ रही है.

तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता

हनुमना जनपद की यह विकट स्थिति मऊगंज जिला प्रशासन और राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है.यदि इस पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो क्षेत्र में विकास और भी पीछे छूट जाएगा, और जनता का विश्वास पूरी तरह से डगमगा जाएगा। आवश्यकता है कि जिला प्रशासन इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे, लंबित मानदेय का भुगतान सुनिश्चित करे, अनुपस्थित अधिकारियों पर कार्रवाई करे और सचिवों की कमी को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए.साथ ही, राजनीतिक दलों को भी यह समझना होगा कि उनकी प्रतिद्वंद्विता का खामियाजा आम जनता को नहीं भुगतना चाहिए। हनुमना की जनता को अब केवल खोखले आश्वासनों की नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की उम्मीद है.

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