महाकुंभ की शुरुआत से वायरल हुईं हर्षा रिछारिया अभी भी सुर्खियों में छाई हुई हैं. अब उनका छाया जाना विवाद पैदा कर रहा है. उनको लेकर संत समाज दो गुटों में बंटता नजर आ रहा है. हर्षा रिछारिया को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और महाराज आनंद स्वरुप ने विरोध किया है, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हर्षा उनके समर्थन में उतर गए हैं. चर्चा ये भी है कि हर्षा रिछारिया अभी भी कुम्भ क्षेत्र में ही हैं.
निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर और अपने गुरू स्वामी कैलाशानंद गिरी के शिविर के सामने हर्षा रिछारिया को फिर से देखा गया है. इस खबर के बाद महाकुंभ में संत समाज दो हिस्सों में बंट गया है. शांभवी पीठाधीश्वर महाराज आनंद स्वरुप ने अब हर्षा के गुरू निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानंद गिरी को ही कुंभ से बाहर करने की मांग की है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
‘शाही सवारी कराकर उन्होंने परंपरा को धूमिल किया’
शांभवी पीठाधीश्वर ने आरोप लगाया कि कैलाशानंद को सनातन की संत संस्कृति और निरंजनी अखाड़े की परंपरा का ज्ञान नहीं है. मॉडल को भगवा वस्त्र में शाही सवारी कराकर उन्होंने परंपरा को धूमिल किया है. शांभवी पीठाधीश्वर ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने अखाड़ा परिषद और निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी से मुलाकात कर स्वामी कैलाशानंद को आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने और अखाड़े से बाहर करने का आग्रह किया है.
ये सन्यास परंपरा का अपमान है- संत
आनंद स्वरुप ने कहा कि हर्षा के घर वाले उसकी शादी कराना चाहते हैं. अगले महीने उसकी शादी बता रहे हैं. कह रहे हैं कि बिटिया को सन्यास नही लेने देंगे. जब पहले ये तय ही नही है कि उसको गृहस्थ में जाना है या सन्यास में और उसको आप रथ पर बिठा रहे हो. ये सन्यास परंपरा का अपमान है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी आनंद स्वरुप का ही समर्थन करते हुए कहा था कि जो अभी यह नहीं तय कर पाया है कि संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना उचित नहीं है. श्रद्धालु के तौर पर शामिल होती तब भी ठीक था, लेकिन भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है.
श्रीमहंत रविन्द्र पुरी ने किया हर्षा का समर्थन
हालांकि, अखाड़ा प्रमुख श्रीमहंत रविन्द्र पुरी ने हर्षा का समर्थन किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भगवा वस्त्र सिर्फ सन्यासी या संत ही नही पहन सकते बल्कि ऐसे लोग भी पहन सकते हैं जो कि सनातन को समझना चाहते हैं. हर्षा रिछारिया उनकी बेटी के समान है और उसके भगवा पहनने पर किसी को एतराज नही होना चाहिए. सनातन का प्रचार हो खूब सारे युवक युवतियां आएं इससे तो सनातन ही मजबूत होगा.