हरियाणा में फर्जीवाड़े का एक नया मामला सामने आया है. यह फर्जीवाड़ा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं को लेने के लिए किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से लागू परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में छेड़छाड़ कर बीपीएल श्रेणी के लिए तय सालाना आय 1.80 लाख रुपये से कम दिखाई जा रही है. इस फर्जीवाड़े का खुलासा पिछले साल नवंबर में हुआ था.
झज्जर पुलिस ने 30 नवंबर 2024 के इस मामले में फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की कोर्ट में चालान पेश किया है. पुलिस के अनुसार, करीब छह हजार जोड़ों ने तलाक के फर्जी कागजात लगाकर परिवार पहचान पत्र (Parivar Pehchan Patra) में परिवार विभाजित करा लिया. फर्जी तलाक की वजह से इनकी आय गरीबी रेखा के लिए निर्धारित सीमा से कम हो गई.
तलाक के लिए फर्जी कागजात
चालान के मुताबिक, पीपीपी में नाम अलग कराने के लिए कई मामलों में पहले परिवार के सदस्य को तलाक के फर्जी कागजात लगाकर अलग किया गया. फिर दूसरे सदस्य को भी पहले किसी अन्य परिवार पहचान पत्र से जोड़ा गया. फर्जीवाड़े से जुड़े कई मामलों में तो एक परिवार के सदस्य को कई परिवार पहचान पत्रों में दिखाया गया है.
पुलिस ने 30 नवंबर, 2024 को इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया था. क्रीड के जिला प्रबंधक योगेश ने पुलिस को शिकायत दी थी कि अज्ञात लोग लॉग-इन से छेड़छाड़ कर लोगों की आय बदल रहे हैं. मामले की जांच की गई तो इसमें पता चला कि शिकायतकर्ता योगेश ने ही अपने दोस्तों विकास और अमित के साथ मिलकर पीपीपी में बदलाव किए थे. पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है.
करीब 12 हजार परिवार पत्रों में बदलाव
जांच में 2 अन्य आरोपियों गीता और सिकंदर के नाम सामने आने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया गया. सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं. जांच में पता चला कि हरियाणा के करीब 12 हजार परिवार पत्रों में बदलाव किए गए हैं.
मामले सामने आने के बाद जांच तेज हो गई है. अब पीपीपी छेड़छाड़ केस में कई अन्य लोग भी रडार पर हैं. इनमें एसएससी संचालक के अलावा क्रीड पंचायत लेवल ऑपरेटर, लोकल कमेटी लेवल ऑपरेटर भी शामिल हैं.
फर्जीवाड़ा से कई लोगों को फायदे
इस पूरे मामले में फर्जीवाड़ा ये किया गया कि परिवार ID की आय कम दिखाने के लिए कुछ कामकाजी जोड़ों का कागजों में तलाकशुदा दिखा दिया गया ताकि कम आय वाले परिवारों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके.
हरियाणा परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) से कई फायदे होते हैं. इससे सरकारी योजनाओं का लाभ पाने में आसानी होती है और फर्जीवाड़ा कम होता है. साथ ही राज्य में सभी परिवारों का डेटा एक जगह एकत्र हो जाता है जो विश्वसनीय और सटीक होता है. इस तरह से परिवार की पहचान आसान होती है. परिवार की सहमति से उनका डेटा डिजिटल रूप में रखा जाता है.
धांधली के बाद सरकार अलर्ट, सिस्टम में बदलाव
परिवार की आईडी को जन्म, मृत्यु, और विवाह रिकॉर्ड से जोड़ा जाता है. इनके अलावा इस योजना से जुड़े लोगों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं तक पहुंच आसान होती है. इन्हें स्कॉलरशिप, सब्सिडी, और पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ पाने में आसानी होती है. सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए फर्जीवाड़ा कम होता है. साथ ही बेरोजगारों और गृहणियों को रोजगार योजना और बेरोजगारी भत्ता योजना का लाभ भी मिलता है.
हरियाणा के परिवार पहचान पत्र के राज्य समन्वयक डॉक्टर सतीश खोला ने बताया कि इस खुलासे के बाद वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सिस्टम लागू कर दिया गया है. अब कोई भी इस तरह से परिवार पहचान पत्र में छेड़छाड़ नहीं कर सकता और जिन लोगों ने इस तरह की धांधली की है उनके बारे में भी पता लगाया जा रहा है. साथ ही सिस्टम को और पुख्ता किया जा रहा है.