पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच जम्मू कश्मीर में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाली हिम शिवलिंग की पहली तस्वीर सामने आ गई है. इस बार शिवलिंग ने बड़ा आकार लिया हुआ है. शिवलिंग की इस बार ऊंचाई करीब 7 फीट है. साल भर लाखों की तादाद में श्रद्धालु अमरनाथ गुफा में बनने वाली इस हिम शिवलिंग की पहली तस्वीर का इंतजार करते हैं. आगामी 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है. यह यात्रा करीब 38 दिनों तक चलकर 9 अगस्त को छड़ी मुबारक के साथ रक्षाबंधन के दिन पूरी होगी.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष मनोज सिन्हा ने इस साल की अमरनाथ यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया है. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की उम्र 13 से 70 साल के बीच होनी चाहिए. इसके लिए मेडिकल सर्टिफिकेट भी जरूरी है.
15 अप्रैल से अभी तक ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यम से करीब 3 लाख 50 हजार श्रद्धालुओं ने अमरनाथ की यात्रा के लिए एडवांस रजिस्ट्रेशन करवाया है. इस बार बोर्ड ने ई-केवाईसी, आरएफआईडी कार्ड, ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन और दूसरी व्यवस्थाओं को भी अच्छा करने का निर्णय लिया है जिससे अमरनाथ की पवित्र यात्रा अधिक सुव्यवस्थित और सुरक्षित रहे. सूत्रों की मानें तो पहलगाम हमले का कोई असर अभी तक रिजस्ट्रेशन पर देखने को नहीं मिला है. इस बार पिछली बार से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में स्थित पवित्र अमरनाथ मंदिर के साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों (वे स्थान जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे) में रखा गया है. अमरनाथ मंदिर को उस स्थान के रूप में भी वर्णित किया जाता है, जहां शिव जी ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य सुनाया था. इस मंदिर का अधिकांश भाग सालों भर बर्फ से घिरा रहता है. गर्मी के मौसम में मंदिर को बहुत कम समय के लिए खोला जाता है.
पानी की बूंदों से बन जाता है शिवलिंग
सबसे खास बात है कि गुफा में जो प्राकृतिक रूप से शिवलिंग बनता है, वह गिरती हुई पानी की बूंदों से बनता है. श्रद्धालुओं को 40 मीटर ऊंची इस गुफानुमा मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 35 से 48 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. अमरनाथ मंदिर की गुफा 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह तीर्थयात्रा अपने जगह और पर्यावरण के कारण एक कठिन ट्रैक है. मंदिर के दर्शन करने के इच्छुक भक्तों को ऊंचाई और दूरी को तय करने के लिए अच्छी सेहत में होना जरूरी है.