Vayam Bharat

‘इलेक्ट्रिक जूते’ देखे क्या? इनको पहनकर चलने से बनेगी बिजली, सेना के लिए IIT इंदौर ने बनाया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान या सरल भाषा में आईआईटी को नए नवाचारों और आविष्कारों के लिए जाना जाता है. आईआईटी का योगदान हमेशा से ही देश को बेहतर बनाने की दिशा में रहा है. अब इस लिस्ट में एक नई अचीवमेंट शामिल हो गई है. आईआईटी इंदौर ने जवानों के लिए एक नया नवाचार किया है. इस इनोवेशन में आईआईटी इंदौर ने विशेष तकनीक के जूते तैयार किए हैं जो सैनिकों के लिए काफी मददगार साबित होंगे.

Advertisement

इन जूतों को पहनकर चलने से बिजली बनेगी और जवानों की लोकेशन का ‘इलेक्ट्रिक जूते’ देखे हैं क्या?[/caption]भी पता आसानी से लगाया जा सकेगा. इन खास तकनीकी 10 जोड़ी जूतों की पहली खेप आईआईटी इंदौर ने डीआरडीओ को सौंप दी है जो अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

इंदौर IIT का नया इनोवेशन

इंदौर IIT ने एक नया इनोवेशन किया है. इस नवाचार के कारण एक बार फिर इंदौर का नाम सुर्खियों में है. जानकारी के मुताबिक, इंदौर आईआईटी ने सेना में पदस्थ सैनिकों के लिए एक अलग तरह का जूता तैयार किया है. इस जूते की मदद से बिजली पैदा करने के साथ ही सैनिकों की लोकेशन भी आसानी से ट्रेस की जा सकती है. जानकारी के मुताबिक, ये आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर आईए पलानी के मार्गदर्शन में तैयार किया गया विशेष तकनीक का जूता है. यह जूते नए ट्राइब इलेक्ट्रिकल नैनो जनरेटर तकनीक से बनाए गए हैं.

हर कदम पर बनेगी बिजली

इसका मतलब यह है कि जब जवान इन जूतों को पहनकर चलेंगे तो हर कदम पर बिजली बनेगी. प्रोफेसर पलानी ने बताया कि यह बिजली जूते के तलवों में लगाए गए एक यंत्र में जमा होगी जिनकी मदद से छोटे-मोटे उपकरण चलाए जा सकेंगे. इसी के साथ प्रोफेसर पलानी के अनुसार इन जूतों में ट्रैकिंग तकनीक की सुविधा भी दी गई है जिसमें 50 मीटर की रेंज के साथ आरएफआईडी और सटीक लाइव लोकेशन ट्रैकिंग के लिए सैटेलाइट आधारित जीपीएस मॉडल शामिल हैं. यानी की वास्तविक समय में सैनिक की लोकेशन भी इन जूतों के माध्यम से आसानी से पता लगाई जा सकती है.

सैनिकों की सुरक्षा को मिलेगा बल

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुभाष जोशी ने बताया कि इस तकनीक के जूतों से सैन्य कर्मियों की सुरक्षा और दक्षता को बल मिलेगा, ट्रैकिंग से सैन्य कर्मियों की सुरक्षा बढ़ेगी. टी.ए.एन.जी संचालित जूते आवश्यक जीपीएस और आरएफआईडी सिस्टम का समर्थन कर सकते हैं जो कई सैन्य जरूरतों के लिए कामगार होगा. वहीं प्रोफेसर जोशी ने बताया कि सैनिकों के अलावा यह जूते आम नागरिक भी इस्तेमाल कर सकते हैं. बुजुर्ग सदस्यों वाले परिवारों के लिए विशेष रूप से, अल्जाइमर रोग वाले लोग, स्कूल जाने वाले बच्चे और पर्वतारोहियों की लोकेशन भी पता लगाने में इन जुतों का इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इन जूतों की मदद से खिलाड़ियों के पैरों की हरकत का सटीक विशलेषण किया जाता है, जिससे उनके प्रदर्शन में सुधार भी लाया जा सकता है.

Advertisements