पश्चिम बंगाल पुलिस ने फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड में से एक मनोज गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है. शनिवार रात को उत्तर 24 परगना जिले के गायघाटा थाना क्षेत्र के चांदपाड़ा से पुलिस ने उसे अरेस्ट किया. वह करीब दस वर्षों से अधिक समय से, टूर-ट्रैवल व्यवसाय की आड़ में पासपोर्ट धोखाधड़ी का धंधा चला रहा था और करीब 100 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत का फर्जी पासपोर्ट बनाकर विदेश भेज चुका था. पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले में यह सातवीं गिरफ्तारी है.
बता दें कि मनोज गुप्ता फर्जी दस्तावेज बनाकर उनका इस्तेमाल पासपोर्ट बनाने में करता था. इसके बदले में उसने लाखों रुपये लिये. इस गिरोह में समरेश व अन्य लोग मनोज के लिए काम करते थे. शनिवार को गिरफ्तारी के बाद मनोज गुप्ता को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे 10 जनवरी तक पुलिस हिरासत का निर्देश दिया है.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मोतीलाल गुप्ता रोड स्थित कार्यालय में बैठकर योजना बनाई जाती थी. समरेश और अन्य लोग प्लानिंग करते थे. फिर मनोज गुप्ता बांग्लादेशियों का पासपोर्ट बनवाकर उन्हें अपनी टूर एंड ट्रैवल एजेंसी के जरिए विदेश भी भेजता था.
100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को भेज चुका है विदेश
पुलिस का कहना है कि वह अपनी एजेंसी के जरिए 100 से ज्यादा बांग्लादेशी नागरिकों को विदेश भेज चुका है. इनमें बांग्लादेशी महिलाएं भी शामिल हैं. कहा जाता है कि जो लोग सीमा पार कर बांग्लादेश से बंगाल लाए जाते थे, उन्हें फर्जी दस्तावेजों और पासपोर्ट के जरिए विदेश भेज दिया जाता था.
बता दें कि फर्जी पासपोर्ट मामले में कोलकाता पुलिस ने इससे पहले दीपांकर दास नाम के शख्स को दक्षिण 24 परगना जिले से अरेस्ट किया था.
टूर एवं ट्रैवल का करता था कारोबार
उससे पूछताछ के बाद पुलिस को यह जानकारी मिली कि वह गिरफ्तार व्यक्ति मनोज गुप्ता नाम के व्यक्ति के अधीन काम कर रहा था. मनोज गुप्ता का बेहाला के साखेरबाजार में टूर एवं ट्रैवल का कारोबार है. उस दुकान के पीछे वह मोटी रकम के बदले बांग्लादेशियों के फर्जी पासपोर्ट बनाता था.
इसके बाद पुलिस मनोज गुप्ता की तलाश में जुट गई. उन्होंने उसे देश से भागने से रोकने के लिए कदम उठाए. पुलिस ने शनिवार रात उत्तर 24 परगना के चांदपारा में एक विशेष अभियान में मनोज गुप्ता को गिरफ्तार किया.
पांच लाख लेकर बनाता था फर्जी पासपोर्ट
जांच में पता चला है कि आरोपी मनोज बांग्लादेशियों से 5 से 10 हजार रुपये लेता था और पहले उनका आधार और पैन कार्ड बनाता था. इसके बाद उनका नाम मतदाता सूची में शामिल करवाया जाता था. इसके बाद आरोपी फर्जी पते का इस्तेमाल कर बांग्लादेशियों के पासपोर्ट के लिए आवेदन करते थे. फर्जी दस्तावेज भी अपलोड किए जाता था.
जब पासपोर्ट डाक घर से पहुंचता था तो उन्होंने डाकघर के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी और वहां से पासपोर्ट ले लिया जाता था. इसके बाद उन पासपोर्टों को बांग्लादेशियों को लाखों रुपये में बेच दिया जाता था. फर्जी पासपोर्ट के लिए 5 लाख रुपये तक की मांग करते थे.
पुलिस ने जब्त किए थे कई फर्जी पासपोर्ट
इस महीने की शुरुआत में फर्जी पासपोर्ट के मामले का सामने आया था. कोलकाता पुलिस ने दक्षिण 24 परगना के बेहाला के पर्णश्री इलाके से डाक विभाग के एक संविदा कर्मचारी अरेस्ट किया था. उससे पहले पुलिस ने उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले से दो लोगों को अरेस्ट किया था.
उनके पास से हार्ड डिस्क ड्राइव, एक कंप्यूटर, कई नकली दस्तावेज और एक लैपटॉप जब्त किए थे. इनका इस्तेमाल नकली पासपोर्ट बनाने में होता था. उसके बाद पुलिस ने कोलकाता के दक्षिणी इलाके में स्थित हरिदेवपुर इलाके में एक घर पर छापेमारी की. इस दौरान कई फर्जी दस्तावेज बरामद किये थे. उसके बाद पुलिस इस मामले में चौंकाना हो गई थी और जांच शुरू की थी.