छत्तीसगढ़ सरकार की नीति से प्रभावित होकर राज्य के कई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं और समाज में अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी है लिवरु उर्फ दिवाकर की. जिन्होंने महज 16 साल की उम्र में हथियार उठा लिया था और नक्सली के रूप में हाथ में हथियार लेकर जंगल-जंगल भटकते थे. दिवाकर ने 17 वर्षों तक नक्सली के रूप में कार्य किया. उनके ऊपर सरकार ने 14 लाख रुपये का इनाम भी रखा था. आज दिवाकर ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास कर ली है और समाज में एक अलग पहचान बना रहे हैं. दिवाकर जैसे कई नक्सली अपना भविष्य गढ़ने के लिए शिक्षा की राह पर निकल पड़े हैं.
पति-पत्नी दोनों थे नक्सली
खास बात यह है कि दिवाकर सरेंडर करने वाले अकेले नहीं थे, उनके साथ उनकी पत्नी ने भी सरेंडर किया था. बता दें, उनकी पत्नी पर 8 लाख रुपये का इनाम था. उन्होंने भी पति के साथ आत्मसमर्पण किया. इस दंपति ने वर्ष 2021 में कवर्धा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था और सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आज समाज की मुख्यधारा से जुड़कर काम कर रहे हैं. लिबरु बताते है कि उन्हें दिवाकर नाम नक्सलियों ने दिया था. आज वह समाज के मुख्य धारा में जुड़कर अपनी नई पहचान बनाएंगे. साथ ही उन्होंने बस्तर व प्रदेश के आदिवासी युवाओं व नक्सल संगठन में जुड़े लोगों को कहा वे अपना हथियार छोड़ दें और समाज के हित में काम करें.
पुलिस अधीक्षक ने दी बधाई
वहीं आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी लिबरु उर्फ दिवाकर को पुलिस अधीक्षक ने बधाई दी. इसके साथ ही उन्होंने उन सभी लोगों को बधाई दी जिन्हें कबीरधाम पुलिस ने बोर्ड परीक्षा का फॉर्म भरवाकर परीक्षा में बैठने का अवसर दिया. ऐसे सभी 105 विद्यार्थियों को पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अभिषेक पल्लव ने बधाई दिए और उनके मनोबल को बढ़ाया.
पुलिस के मदद से 105 विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में पास
कबीरधाम पुलिस ने जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र और अति नक्सल प्रभावित गांवों के बच्चों को शिक्षित करने और उनकी पढ़ाई लिखाई जारी रखने के लिए 200 से अधिक बच्चों को कक्षा 10वीं व 12वीं का ओपन परीक्षा का फॉर्म भरावाया था. पुलिस विभाग की कड़ी मेहनत और लगन से आज 105 विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए हैं. ये सभी विद्यार्थी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के चिल्फी, तरेगाव, रेंगाखार झलमला, बोड़ला के सुदूर वनांचल गांव के हैं.