कनाडा के आम चुनाव में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने जीत दर्ज की है और सरकार बनाने जा रही है. हालांकि, अभी तक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. वहीं, खालिस्तानी नेता जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है.
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ब्रिटिश कोलंबिया के बर्नाबी सेंट्रल सीट भी हार चुके हैं. इस हार के बाद उन्होंने पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. वह आठ साल से एनडीपी के प्रमुख थे. लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा झटका ये है कि एनडीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन गया है. कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए पार्टियों को 12 सीटों की जरूरत होती है. लेकिन एनडीपी अभी तक के रुझानों में सात सीटों पर आगे है.
हार के बाद क्या बोले जगमीत सिंह?
खालिस्तानी नेता जगमीत ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि मैं निराश हूं कि हम अधिक सीटें नहीं जीत सके. लेकिन मैं हमारी गतिविधियों को लेकर निराश नहीं हूं. मैं हमारी पार्टी को लेकर आशावादी हूं. मैं जानता हूं कि हम हमेशा डर के बजाए उम्मीद को चुनेंगे.
उन्होंने कहा कि लेकिन हमें केवल तभी हराया जा सकता है जब हम उन लोगों पर विश्वास कर लें जो कहते हैं कि हम बेहतर कनाडा का सपना कभी नहीं देखेंगे. मैं हमेशा संघर्षों के बजाए उम्मीद को चुनता हूं. एनडीपी ने 343 सीटों पर चुनाव लड़ा था. पार्टी ने पिछले चुनाव में 24 सीटें जीती थीं. इसे कनाडा में खालिस्तान के समर्थकों के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
बता दे कि लिबरल पार्टी 167 सीटों पर आगे चल रहे हैं जबकि कंजर्वेटिव पार्टी 145 सीटों पर आगे है. ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी 23 सीटों पर, एनडीपी 7 तो ग्रीन पार्टी एक सीट पर आगे चल रही है.
कौन हैं जगमीत सिंह?
जगमीत सिंह की उम्र फिलहाल 46 साल है. वह कनाडा में खालिस्तान के समर्थन वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के आठ साल से प्रमुख रहे हैं. उनकी राजनीति का फोकस वर्कर्स और मजदूरों के मुद्दों के इर्द-गिर्द रहा है. उन्होंने 2017 में उस वक्त इतिहास रच दिया था, जब वो कनाडा में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी का नेतृत्व करने वाले अल्पसंख्यक और सिख समुदाय से आने वाले पहले नेता बने थे. वह 2019 में सांसद चुने गए थे. 2021 से एनडीपी ने ट्रूडो की लिबरल पार्टी को सरकार बनाए रखने में मदद की थी. लेकिन बाद में उन्होंने ट्रूडो की लिबरल पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया था.