आसाराम की याचिका पर जोधपुर में फिर टली सुनवाई:सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर किया सुनवाई से इनकार

गुजरात और राजस्थान में रेप मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 साल के आसाराम बापू के लिए अब कानूनी राहत के रास्ते तेजी से सिमट रहे हैं। आज राजस्थान हाईकोर्ट में सजा स्थगन को लेकर लंबित याचिका पर भी एक बार फिर सुनवाई टल गई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को गुजरात मामले में आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया।

इस फैसले से स्पष्ट है कि शीर्ष कोर्ट अब लगातार अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है। आसाराम जोधपुर में नाबालिग से रेप और गुजरात के मोटेरा आश्रम में साधिका से कई सालों तक रेप के मामलों में दोषसिद्ध है।

राजस्थान हाईकोर्ट से 12 अगस्त तक अंतिम अंतरिम जमानत

जोधपुर में 2013 के नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम की सजा के विरुद्ध अपील लंबित है। जनवरी 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को मार्च 31 तक मेडिकल ग्राउंड पर अस्थायी जमानत दी थी। अप्रैल में गुजरात हाईकोर्ट से मिली राहत खत्म होने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले उसकी जमानत बढ़ाने से मना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने और कथित उपदेश देने के आरोपों पर हलफनामा मांगा था।

जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने 8 जुलाई को आसाराम की अंतरिम जमानत को 12 अगस्त तक बढ़ाया था। कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया कि “आवेदक को अब आगे कोई राहत नहीं दी जाएगी।”

कब होगी सुनवाई?

आसाराम ने 2018 में जोधपुर की विशेष पॉक्सो कोर्ट की ओर से सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी है। यह अपील 21 जुलाई और 25 जुलाई को सूचीबद्ध हुई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी थी। आज भी यह मामला कोर्ट संख्या 5 में सूचीबद्ध हुआ, लेकिन एक बार फिर इसकी सुनवाई टल गई।

गुजरात हाईकोर्ट से 7 अगस्त तक मिली हुई जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को 31 मार्च तक मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। निर्देश दिया था कि आगे की राहत के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका लगा सकता है।

गुजरात हाईकोर्ट ने 28 मार्च 2025 को आसाराम को 3 महीने की अस्थायी जमानत दी थी। यह अवधि 30 जून को खत्म होने वाली थी लेकिन दस्तावेजी औपचारिकता में देरी को देखते हुए इसे 7 जुलाई तक बढ़ाया गया।

3 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस पीएम रावल की पीठ ने आसाराम के वकील के 3 महीने के विस्तार की मांग को खारिज करते हुए सिर्फ एक महीने का समय दिया, जहां से जमानत फिर से 7 अगस्त तक बढ़ा दी है।​​​​​​

कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा- यह “अंतिम विस्तार” होगा और स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अंतरिम जमानत का सिलसिला “कभी खत्म नहीं होने वाली प्रक्रिया” न बन जाए।

गुजरात और राजस्थान में समन्वय की चुनौती

आसाराम के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दोनों राज्यों में उसके खिलाफ अलग-अलग मामले हैं। यदि एक राज्य से राहत मिल भी जाए, तो दूसरे राज्य का मामला अभी भी लंबित रहेगा। गुजरात हाईकोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान में लंबित मामलों के कारण आसाराम को रिहा करना “व्यर्थ की कवायद” होगी।

मेडिकल कंडीशन पर जमानत पर बाहर

आसाराम के कानूनी संघर्ष का मुख्य आधार उनकी गिरती स्वास्थ्य स्थिति है। जोधपुर एम्स की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार- आसाराम को कोरोनरी आर्टरी डिजीज है और वे “हाई रिस्क श्रेणी” में आते हैं। डॉक्टरों ने 90 दिन की पंचकर्म (Ayurvedic Panchakarma) थेरेपी की आवश्यकता बताई है। आसाराम को विशेष नर्सिंग देखभाल, निरंतर निगरानी, और एंडोक्रोनोलॉजिस्ट व नेफ्रोलॉजिस्ट की नियमित सलाह की आवश्यकता है।

आसाराम के पास विकल्प

1. राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य अपील: यह उसकी सबसे बड़ी उम्मीद है। यदि यह अपील स्वीकार हो जाती है, तो दोषसिद्धि में संशोधन या सजा में कमी की संभावना हो सकती है।

2. राष्ट्रपति क्षमा की याचिका: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को दया याचिकाओं पर विचार करने का अधिकार है। हालांकि, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सलाह के बिना कार्य नहीं कर सकते। 2025 में आसाराम के एक साधक सुखराम एम टांक ने राष्ट्रपति के पास रिहाई की याचिका भेजी थी, जिसे राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को विचार हेतु भेजा गया।

3. नई चिकित्सा परिस्थितियां: यदि आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति और गंभीर हो जाती है, तो वकील फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सामने नई चिकित्सीय परिस्थितियां रख सकते हैं।

Advertisements