सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए ED को दो दिन का समय दिया. जिसमें मौजूदा लोकसभा चुनाव के बीच प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई थी, इसके परिणाम स्वरूप अब तक सोरेन को कोई राहत नहीं मिली है.
ED का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके पास सोरेन को विवाद में भूमि के टुकड़े से जोड़ने के लिए मजबूत सबूत हैं. राजू ने जोर देकर कहा कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और उनकी नियमित जमानत भी खारिज कर दी गई है. सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि विचाराधीन भूमि कभी भी उनके मुवक्किल के कब्जे में नहीं थी और अदालत से उन्हें आम चुनाव के शेष चरणों के दौरान प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने का आग्रह किया.
पीठ ने सोरेन की अंतरिम जमानत के पहलू पर राजू से पूछताछ की. राजू ने जवाब दिया कि उन्हें बहुत पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था और चुनाव के चार चरण पहले ही खत्म हो चुके हैं, और इस बात पर जोर दिया कि वह सीधे तौर पर जमीन से जुड़े हुए हैं. सिब्बल ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि उनका मुवक्किल जमीन से जुड़ा है.
पीठ ने सिब्बल से कहा कि अदालत को प्रथम दृष्टया उनकी दलील से संतुष्ट होना होगा और न्यायाधीशों को ED की बात भी सुननी होगी. दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 मई को तय की है और ED को दो दिनों में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन के संबंध में है, जिस पर ED ने आरोप लगाया है कि यह जमीन उन्होंने अवैध रूप से हासिल की थी. मनी लॉन्ड्रिंग की जांच राज्य सरकार के अधिकारियों सहित कई लोगों के खिलाफ भूमि घोटाले मामलों में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई FIR से शुरू हुई है.