2 दिन बाद प्रदेशभर में तेज बारिश…17 जिलों में अलर्ट:रायपुर, दुर्ग-बालोद में बिजली गिरेगी, आंधी चलेगी; 7 सितंबर तक 85% कोटा पूरा

पूरे छत्तीसगढ़ में 2 दिन बाद तेज बारिश हो सकती है। दो-तीन जगहों पर भारी पानी बरस सकता है। आज (सोमवार) मौसम विभाग ने सेंट्रल छत्तीसगढ़ के दुर्ग, बालोद, रायपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव सहित 17 जिलों में यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान गरज-चमक के साथ बिजली गिर सकती है। आंधी चल सकती है।

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ओवल ऑल बात करें तो 7 सितंबर तक प्रदेश में मानसून का 85 प्रतिशत कोटा पूरा हो चुका है। सामान्य तौर पर औसत 1143.3 मिमी बारिश होती है, जबकि अब तक 981.3 मिमी वर्षा हो चुकी है। इस साल मानसून अगस्त के महीने को छोड़ दें तो अब तक सामान्य रहा है।

बलरामपुर में सबसे ज्यादा पानी बरसा

प्रदेश में अब तक 981.3 बारिश हुई है। बेमेतरा जिले में अब तक 465 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 49% कम है। अन्य जिलों जैसे बस्तर, बेमेतरा, जगदलपुर में वर्षा सामान्य के आसपास हुई है।

वहीं, बलरामपुर जिले में 1330.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 56% अधिक है। आंकड़े 1 जून से 6 सितंबर 2025 तक के हैं।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दिक्कत अभी बरकरार

पिछले हफ्ते उत्तरी और दक्षिणी छत्तीसगढ़ में भारी बारिश हुई। बस्तर संभाग के 4 जिलों में कई पुल टूट गए, 200 से ज्यादा घर ढह गए। नदियां-नाले उफान पर आ गए और बाढ़ जैसे हालात बन गए। प्रशासन को राहत और बचाव कार्य चलाना पड़ा।

प्रभावितों को राहत शिविर में रखा गया है। फिलहाल स्थिति सामान्य की ओर बढ़ रही है, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दिक्कतें अब भी बरकरार हैं।

बलरामपुर में बांध फूटने से 6 लोगों की मौत

इसके अलावा बलरामपुर में बांध फूटने की घटना में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। 6 लोगों के शव मिल चुके हैं। 1 लापता बच्ची की तलाश जारी है। बता दें कि लगातार बारिश से लबालब बांध बह गया था। जिसकी चपेट में आकर निचले इलाके के 4 घर बह गए थे।

बस्तर में 200 से ज्यादा घर ढहे

बस्तर संभाग में पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश के बाद चार जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और बस्तर में बाढ़ से 200 से ज्यादा मकान ढह गए। 2196 लोग राहत शिविर में शिफ्ट किए गए।

इन्हें स्कूल, इंडोर स्टेडियम, आश्रम जैसे जगहों पर ठहराया गया है। अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। अब बाढ़ के बाद की तस्वीरें भी सामने आई हैं।

बारसूर में स्टेट हाईवे 5 पर पुल टूट गया है, टूटे पुल पर अब सीढ़ी बांधकर ग्रामीण आना जाना कर रहे हैं। बता दें कि नारायणपुर, बस्तर, बीजापुर के 55 से 60 गांवों के ग्रामीण अपनी रोजमर्रा के सामानों के लिए बारसूर साप्ताहिक बाजार पहुंचते हैं।

अब जानिए क्या है लो प्रेशर एरिया

जहां हवा का दबाव आसपास की जगहों से कम होता है, उसे लो प्रेशर एरिया कहते हैं। जब किसी इलाके में तापमान ज्यादा होता है (जैसे समुद्र की सतह या जमीन बहुत गर्म हो जाए)।

गर्मी से हवा हल्की और ऊपर उठने लगती है। ऊपर हवा चली जाने से नीचे की सतह पर दबाव घट जाता है, और वह जगह लो प्रेशर एरिया बन जाती है।

यहां पर आसपास से हवा अंदर की ओर खिंचती है। हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है और बादल और बारिश का कारण बनती है। समुद्र पर बनने वाले लो प्रेशर एरिया कई बार बड़े तूफान (Cyclone) में बदल जाते हैं।

भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनने वाले लो प्रेशर एरिया ही देशभर में भारी बारिश करवाते हैं।

उदाहरण के तौर पर समझिए बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर बना तो वह मानसून द्रोणिका के साथ जुड़कर ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, यूपी तक बारिश करा देगा। अगर यह और ताकतवर हो जाए तो डीप डिप्रेशन और फिर साइक्लोन में बदल सकता है।

इन शॉर्ट लो प्रेशर एरिया = गर्म हवा ऊपर उठी → नीचे दबाव कम हुआ → हवा अंदर की ओर खिंची → बादल + बारिश। भारत की मानसूनी बारिश और चक्रवात का मुख्य कारण यही लो प्रेशर एरिया होते हैं।

जानिए इसलिए गिरती है बिजली

दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है।

आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके।

अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है।

जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ।

आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी

  • आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी ज्यादा होता है। इसकी क्षमता तीन सौ किलोवॉट मतलब 12.5 करोड़ वॉट से ज्यादा चार्ज की होती है।
  • यह बिजली मिली सेकेंड से भी कम समय के लिए ठहरती है।
  • यह मनुष्य के सिर, गले और कंधों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।
  • दोपहर के वक्त इसके गिरने की आशंका ज्यादा होती है।
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