छत्तीसगढ़ के बस्तर के अबूझमाड़ समेत कई गांवों में आत्माओं की पूजा की अनोखी परंपरा है। इन गांवों में आदिवासी समाज अपने पूर्वजों की आत्माओं को “आना कुड़मा” यानी आत्मा के घर में स्थापित करता है और उन्हें रोज पूजा जाता है।
आत्माओं को न्योता दिए बिना नहीं होती शादी
यहां जब भी किसी घर में शादी होती है तो उससे पहले आत्माओं को बाकायदा न्योता दिया जाता है। आदिवासियों की मान्यता है कि पूर्वजों की आत्माएं शादी में आशीर्वाद देती हैं और परिवार की रक्षा करती हैं।
हांडी में बसती हैं आत्माएं, मंदिर जैसा घर
गांवों में एक छोटा कमरा होता है जिसमें मिट्टी की हांडी रखी जाती है। इसी में पूर्वजों की आत्माएं वास करती हैं। इसे मंदिर की तरह पूजा जाता है और खासकर पुरुष ही इसमें प्रवेश कर सकते हैं।
भूल से भी आत्माओं को नजरअंदाज किया तो आती है विपत्ति
गांव में नई फसल या कोई बड़ा कार्य बिना आत्माओं को चढ़ावा दिए शुरू नहीं किया जाता। यदि भूलवश ऐसा हो जाए तो लोगों को संकट का सामना करना पड़ता है, जिसे दूर करने के लिए विशेष पूजा-पाठ कराया जाता है।
बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं आत्माएं
आदिवासी समुदाय मानता है कि यह आत्माएं गांव को बुरी आत्माओं और संकटों से बचाती हैं। इनका पूजन न केवल श्रद्धा का विषय है, बल्कि सामाजिक संतुलन और परंपरा का आधार भी है।