मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी चर्चा और विवाद का विषय बानी हुई हैं . मगर अब जबलपुर हाई कोर्ट ने हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के की स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादी पर रोक लगा दी है. हालांकि शुरुवात में पहले उन्हें सिंगल बेंच ने इसकी इजाजत दे दी थी. मगर अब रोक लगा दी गई हैं. कोर्ट के द्वारा कहा गया हैं कि इस मामले की सुनवाई अब डबल बेंच करेगा.
कुछ समय पहले जस्टिस विशाल धगात की सिंगल बेंच ने हिंदू महिला से कहा था कि वे सरकार द्वारा संचालित शेल्टर में जाकर मुस्लिम युवक से अपनी शादी के बारे में विचार करे और उससे कहा था कि वह 12 नवंबर तक उससे बात न करे, जिस दिन उनकी शादी होनी थी. आज परिवार का बुरा हाल देखने को मिला.
जबलपुर कलेक्टर कार्यालय में दिया था शादी के लिए आवेदन
लड़के-लड़की ने जबलपुर में शादी के लिए 7 अक्टूबर को जिला मिस्ट्रेट के कार्यालय में आवेदन दिया था. लड़की के परिवार को इसकी जानकारी तब मिली जब एडीएम ऑफिस की तरफ से उन्हें ‘नो ऑब्जेक्शन’ के लिए नोटिस दिया गया. स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों के तहत परिवार की ओर से ‘नो ऑब्जेक्शन’ मिलना नियम है. हालांकि इसके बाद युवती के पिता ने बेटी के लापता होने की शिकायत थाने में कराई थी.
हिन्दू संगठनों ने जमकर किया था प्रदर्शन
इस शादी पर हिन्दू संगठनों से लेकर बीजेपी नेताओं तक द्वारा जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया .यहां तक की तेलंगाना से बीजेपी विधायक डी राजा ने तो ये तक कह दिया था की अगर हिन्दू लड़की की शादी हुई तो लड़की के 35 टुकड़े फ्रीज में मिलेंगे, जैसे एक हिन्दू लड़की के मिले थे. जिस शहर से मुस्लिम लड़का आता हैं वहां शहर बंद का ऐलान भी किया गया था.
कोर्ट ने हिन्दू लड़की को सोचने का दिया था समय
विवाद के बाद इस जोड़े ने जबलपुर हाई कोर्ट का रुख किया और पुलिस से सुरक्षा की मांग की. उन्होंने बताया कि वे शादी करना चाहते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे चार साल से रिश्ते में हैं और एक साल से लिव-इन में रह रहे हैं. सिंगल बेंच ने 22 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए युवती से कहा कि वह अपने फैसले पर विचार करे और दोनों को पुलिस का संरक्षण दिलाया.
हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
युवती के पिता ने आदेश को चुनौती दी और कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं मिला. पिता के वकील ने कोर्ट में कहा कि युवक और युवती की जान का खतरा है, इस संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. संदेह होने पर हाई कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी. मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी.