छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर में सिटी बस सुविधा बंद करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने परिवहन सचिव से पूछा कि शपथपत्र में बसों को चालू बताकर झूठा शपथपत्र क्यों दिया। इस पर परिवहन सचिव ने बताया कि नगर निगम ने उन्हें बसें चालू होने की जानकारी दी थी। हाईकोर्ट ने कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर को बसों की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उठाए गए कदम और सिटी बसों का रोडमैप प्रस्तुत करने कहा है।
गुरुवार को इस केस की सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव एस प्रकाश हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। इस दौरान चीफ जस्टिस ने उनसे सवाल-जवाब किया और कहा कि उनके शपथपत्र में क्यों कहा गया कि छह में से पांच सिटी बसें चालू हैं। जबकि, सच्चाई ये है कि बसें बंद है। इस पर उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह जानकारी उन्हें बिलासपुर के नगर निगम कमिश्नर ने 18 जुलाई को पत्र के जरिए दी थी। जिसके आधार पर उन्होंने शपथपत्र दिया है।
ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं होने के कारण बसें हुई बंद परिवहन सचिव ने कोर्ट को बिलासपुर जिला शहरी जन सेवा समिति के सचिव (नगर निगम कमिश्नर) ने उन्हें जानकारी दी है कि बस ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं हो सका है, जिसके चलते सिटी बस सेवा बंद हो गई है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और इस संबंध में शपथपत्र भी प्रस्तुत किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर और कमिश्नर से मांगा शपथपत्र सुनवाई के दौरान नगर निगम के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि निगम जल्द आवश्यक कदम उठाकर सिटी बस सुविधा फिर से बहाल करेगी। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि कलेक्टर (समिति के अध्यक्ष) और नगर निगम कमिश्नर (समिति के सचिव) अपना व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करें, जिसमें ये बताएं कि वर्तमान में सिटी बसों की क्या स्थिति है और आगे क्या कार्ययोजना बनाई गई है। इस मामले की सुनवाई अब 22 अगस्त कोहोगी।