सिविल जज भर्ती पर हाईकोर्ट सख्त: बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, फ्रेश लॉ ग्रेजुएट नहीं बन सकते जज

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती 2023-24 के चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया उस नियम के तहत होगी, जो विज्ञापन में तय किया गया है। भर्ती के लिए लॉ ग्रेजुएट के साथ ही तीन साल के वकालत का अनुभव अनिवार्य होगा।

दरअसल, प्रतियोगी प्रियंका ठाकुर, सुधांशु सैनिक सहित कई उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। उनका कहना था कि राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) ने भर्ती के लिए जो शर्तें तय की है वह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लोक अभियोजन अधिकारी अदालत में वकीलों की तरह ही कार्य करते हैं। लेकिन, सरकारी नौकरी के कारण वे बार काउंसिल में नामांकन नहीं करा पाते। इसी तरह अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत विधि स्नातक भी रजिस्ट्रेशन से वंचित रहते हैं। ऐसे में उन्हें सिविल जज एग्जाम में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है।

हाईकोर्ट ने एडमिट कार्ड जारी करने दिया था आदेश इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की तर्कों को सही माना था। जिसके बाद पीएससी को आदेशित किया था याचिकाकर्ताओं को एग्जाम फार्म जमा करने और एडमिट कार्ड जारी किया जाए।

राज्य सरकार और पीएससी ने दिया जवाब सुप्रीम कोर्ट के दीपक अग्रवाल बनाम केशव कौशिक मामले और अन्य निर्णयों में अभियोजन अधिकारियों को वकीलों के समकक्ष माना गया है। 21 फरवरी 2025 के संशोधित विज्ञापन में सरकारी कर्मचारियों को आयु सीमा में छूट दी गई है, लेकिन रजिस्ट्रेशन की शर्त पर कोई रियायत नहीं दी गई, जिससे विरोधाभास पैदा होता है। वहीं, राज्य शासन और पीएससी की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए हैं कि नियमों में किसी प्रकार का संवैधानिक उल्लंघन हुआ है। यह शर्त न्यायिक सेवा की गुणवत्ता और कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए लागू की गई है।

हाईकोर्ट ने कहा- फ्रेश लॉ ग्रेजुएट को सीधे जज बनाना उचित नहीं हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन आफ इंडिया मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन की तारीख पर लागू नियमों के अनुसार चलेगी। इसलिए 23 दिसंबर 2024 को लागू पंजीकरण शर्त ही मान्य होगी, न कि 21 फरवरी 2025 का संशोधन। कोर्ट ने यह भी कहा कि फ्रेश ला ग्रेजुएट्स को सीधे जज बनाना उचित नहीं है। कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस आवश्यक है, ताकि उम्मीदवार कोर्ट की कार्यप्रणाली को समझ सकें और न्यायिक सेवा की गुणवत्ता प्रभावित न हो।

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