10 साल से अटकी जांच पर हाईकोर्ट की सख्ती, 16 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 10 साल से लंबित एक आपराधिक मामले में लापरवाही बरतने पर 16 पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की. मामला 2015 का है, जब भारत सेवा संस्थान से जुड़े मुंगेली निवासी देव कुमार जोशी और एक अन्य व्यक्ति पर छात्रों से पैसे वसूलने के गंभीर आरोप लगे थे. इस पर जशपुर के कुनकुरी थाना में 6 जून 2015 को एफआईआर दर्ज की गई थी. लेकिन पुलिस की जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, जिससे आरोपी देव कुमार जोशी ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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हाईकोर्ट ने 5 फरवरी 2025 को छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) को हलफनामा दायर कर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया कि इतने वर्षों में चार्जशीट क्यों दाखिल नहीं की गई. डीजीपी ने जवाब में बताया कि मामले की जांच करने वाले 16 पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही के कारण देरी हुई, जिस पर कार्रवाई करते हुए कुछ की वेतनवृद्धि रोकी गई और सर्विस रिपोर्ट में निंदा दर्ज की गई.

कोर्ट ने की खारिज याचिका

12 फरवरी 2025 को हुई सुनवाई में शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि आरोपों की पुष्टि के लिए छात्रों के प्रवेश पत्रों पर हस्ताक्षर सत्यापन की प्रक्रिया जारी है और रिपोर्ट चार सप्ताह में उपलब्ध होगी. हाईकोर्ट ने माना कि चूंकि मामला अभी जांच के अधीन है और याचिकाकर्ता पहले से जमानत पर है. इसलिए एफआईआर रद्द करने की कोई ठोस वजह नहीं है. कोर्ट ने छह सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका खारिज कर दी.

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