मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। मनोज जरांगे के नेतृत्व में जारी इस धरने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है और इसमें तय शर्तों का पालन नहीं किया गया है। अदालत का कहना है कि आंदोलन की वजह से दक्षिण मुंबई के महत्वपूर्ण इलाके प्रभावित हो रहे हैं और शहर का सामान्य जीवन बाधित हो रहा है।
हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि हालात पर काबू पाने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसकी क्या रणनीति है। अदालत ने स्पष्ट किया कि लोगों की सुविधा और कानून व्यवस्था के लिए जल्द कदम उठाने होंगे।
दूसरी ओर, मनोज जरांगे ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण नहीं मिला, तो पांच करोड़ से ज्यादा लोग मुंबई में आंदोलन के लिए जुट जाएंगे। जरांगे ने चौथे दिन से पानी पीना भी छोड़ने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि वे अपनी मांग पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे, चाहे सरकार कितनी भी सख्ती क्यों न करे।
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को कहा था कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति का दर्जा देने के लिए कानूनी राय ली जाएगी। लेकिन जरांगे इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुए। उनका कहना है कि सरकार के पास 58 लाख मराठा और कुनबी परिवारों का रिकॉर्ड मौजूद है और इसी आधार पर तुरंत सरकारी आदेश जारी होना चाहिए।
जरांगे की मुख्य मांग है कि ओबीसी श्रेणी में मराठा समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इसके लिए वे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं और साफ कर चुके हैं कि जब तक उनकी शर्तें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। आंदोलन की वजह से मुंबई का माहौल तनावपूर्ण है और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।