हरदोई : पाली कस्बे के समाजसेवी रघुवीर सिंह द्वारा चकरोड पर किए गए अतिक्रमण को हटवाने के हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी, जिसको हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि याचिका करता ने स्वयं मजिस्ट्रेट को दिए गए अपने आवेदन में कहा कि संपत्ति नगर निगम सीमा में है, इसलिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के प्रावधान लागू नहीं होंगे और वास्तव में अतिक्रमण हटाने से संबंधित स्थिति पर उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 लागू होगा.
वहीं याचिकाकर्ता ने बुधवार को कहा है कि वह आदेश में संशोधन कराकर अतिक्रमण हटवाने के लिए पुनः एक याचिका दायर करेंगें, जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है.
ज्ञात हो कि पाली नगर के आजाद नगर वार्ड निवासी समाजसेवी रघुवीर सिंह पुत्र विशाल सिंह ने चक मार्ग भूमि गाटा संख्या 30 खाता संख्या 217 क्षेत्रपाल 0.6200 हेक्टेयर स्थित भगवन्तपुर टाउन एरिया नगर पंचायत पाली पर किए गए अतिक्रमण को हटवाने के लिए प्रयागराज उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में माह मई 2024 को एक जनहित याचिका दायर की थी.
जिसमें 15 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया था। पर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी व तहसील प्रशासन द्वारा अतिक्रमण नहीं हटवाया गया, जिसके बाद याची रघुवीर सिंह ने अवमानना याचिका दाखिल की.
अवमानना याचिका में खुद को फंसता देख नगर पंचायत और तहसील प्रशासन ने बीती 20 नवंबर को चक मार्ग पर किए गए अतिक्रमण के बीच के हिस्से को बुलडोजर से ढहा दिया था एवं कुछ गुमटियां हटवा दी थी। इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता रघुवीर सिंह ने महज खाना पूर्ति बताया था.
अपने अधिवक्ता धनंजय त्रिवेदी के जरिए याची ने बीती 25 नवंबर को हाईकोर्ट में बताया कि ईओ एवं तहसील प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की गई, जबकि प्रतिवादी द्वारा चकरोड पर स्वागत द्वार बनवाकर स्वयं अतिक्रमण किया गया है.
याचिकाकर्ता द्वारा न्यायालय की अवमानना के आवेदन में केवल यह कहा कि प्रतिवादी प्रश्नगत संपत्ति पर अवैध अधिकरण हटाने में विफल रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत कार्रवाई के संबंध में चुप रहे.
वहीं स्थाई अधिवक्ता ने नगर पंचायत पाली के अधिशासी अधिकारी से प्राप्त निर्देशों के आधार पर न्यायालय को सूचित किया की अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई किसी मामले में याचिका करता द्वारा दायर रिट पेश होने से पहले लंबित थी और कथित अतिक्रमण को पहले ही याची की उपस्थिति में 15 जुलाई 2024 को हटा दिया गया.
यदि नगर पालिका अधिनियम के तहत कार्रवाई की जानी थी तो याचिकाकर्ता को न्यायालय को विधवत सूचित करना था और दिनांक 15 जुलाई 2024 के आदेश में संशोधन की मांग करनी चाहिए थी। इसके बाद न्यायालय ने माना किया मामला न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत प्रतिवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उपयुक्त नहीं है.
इसलिए अवमानना आवेदन योग्यता से रहित होने के कारण खारिज कर दिया। वहीं समाजसेवी रघुवीर सिंह ने बुधवार को बताया कि वह आदेश में संशोधन करा कर अतिक्रमण हटवाने के लिए पुनः एक याचिका दायर करेंगे, इसके लिए उन्होंने प्रक्रिया शुरू कर दी है.