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हाई कोर्ट का फैसला: डीएम के आदेश मनमाने करार, प्रधान को कार्यकाल पूरा करने का आदेश

हरदोई : सवायजपुर प्रधान विजय बाबू बाजपेई को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है, हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने डीएम हरदोई के दो आदेश निरस्त करते हुए प्रधान को कार्यकाल पूरा करने का आदेश दिया है.साथ ही डीएम के आदेश को मनमानी करवाई ठहराया.

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ज्ञात हो कि विकास खंड भरखनी के ग्राम पंचायत सवायजपुर के प्रधान विजय बाबू वाजपेई पर वित्तीय अनियमित का आरोप लगाकर शिकायत की गई थी, जिसमें डीएम ने प्रधान विजय बाबू वाजपेई के वित्तीय अधिकार छीन लिए थे और गत माह विजय बाबू वाजपेई को प्रधान पद से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था.

विजय बाबू बाजपेई ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की, जिसकी जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता प्रधान के अधिवक्ता ने तर्क दिया की शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच की गई और जवाब मांगा गया.

जिस पर याची ने अपना स्पष्टीकरण दिया और जांच आख्या पर आपत्ति दी पर इस पर ध्यान दिए बिना ही 1 जून 2023 को आदेश पारित कर दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों को जांच लंबित रखने तक जप्त कर लिया गया। जांच काफी दिन तक लंबित करने को लेकर भी याचिकाकर्ता ने एक रिट पिटीशन दायर की थी, जिस में शीघ्रता से आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया था.

27 नवंबर 2024 को लंबित जांच का निपटारा कर दिया गया और याचिका करता प्रधान विजय बाबू वाजपेई को पद से डीएम ने बर्खास्त कर दिया.याची के वकील ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज जांच नियमावली 1997 के नियम 6 के अनुसार न तो कोई आरोप पत्र दिया गया और न ही कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया और न ही जांच अधिकारी द्वारा कोई सूचना दी गई.जो नियम 6 के विपरीत है और आदेश कानून की दृष्टि से गलत है.

जिसके जवाब में स्थाई अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता को पंचायत सचिव द्वारा टेलीफोन पर सूचना दी गई.जिस पर बेंच ने कहा कि सूचना को वैध नहीं माना जा सकता, अतः संपूर्ण जांच करवाई याचिकाकर्ता को सूचना दिए बिना, आरोप पत्र दिए बिना तथा प्रस्तावित दस्तावेजों की सूची दिए बिना प्रारंभ की गई। जो प्रथम दृष्टया नियम 6 के अधिदेव के विपरीत है.

अतः 27 नवंबर 2024 के आदेश को जांच नियम 1997 के नियम 6 का उल्लंघन तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन पाते हुए निरस्त किया जाता है.कोर्ट ने कहा कि चूंकि 1 जून 2023 का आदेश भी बिना सोचे समझे दिया गया, इसलिए इसे भी निरस्त किया जाता है.दोनों आदेशों के निरस्त होने के बाद याचिकाकर्ता ग्राम प्रधान के रूप में बना रहेगा और अपना कार्यकाल पूरा करने का हकदार होगा। गुरुवार को प्रधान विजय बाबू वाजपेई ने कहा कि सत्यमेव जयते, हमेशा सत्य की जीत होती है.

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