छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हाल ही में वायरल हुई तीन घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की युगलपीठ ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए गुरुवार को हुई सुनवाई में पूछा कि इन तीनों मामलों में अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में हल्की कार्रवाई से कानून व्यवस्था पर गलत असर पड़ता है और यह समाज के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, सड़कें किसी की निजी संपत्ति नहीं हैं। इस तरह की हरकतें न सिर्फ इन युवाओं की बल्कि आम नागरिकों की जान के लिए खतरा हैं। पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई ऐसे अमीरजादों को कानून से ऊपर मानने की छूट देती है। 2000 रुपये का जुर्माना कोई सजा नहीं, यह तो एक मजाक है।
कोर्ट ने आगे कहा कि, जब कानून का भय खत्म हो जाता है और पुलिस सिर्फ जुर्माने से काम चलाती है, तो राज्य में अराजकता फैलने का खतरा रहता है। यह अदालत इसे सहन नहीं करेगी।
संतोषजनक रिपोर्ट नहीं होने पर होगी अधिकारियों पर कार्रवाई
इस मामले में पहले ही हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जो गुरुवार को पेश किया गया। अब पूछा है कि एफआइआर दर्ज होने के बाद जांच में क्या-क्या सामने आया और क्या कदम उठाए गए।
20 जुलाई 2025 को रील्स बनाने नेशनल हाईवे किया जाम शीर्षक से प्रकाशित खबर में सामने आया था कि छह लग्जरी कार सवार युवक रतनपुर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्टंट कर रहे थे। इस वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग पर लंबा जाम लग गया। बाद में इन युवकों में से एक वेदांत शर्मा ने यह वीडियो अपनी इंस्टाग्राम आइडी पर पोस्ट कर दिया, जो तेजी से वायरल हुआ। पुलिस ने पहले तो केवल दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाकर मामला रफा-दफा करने की कोशिश की, लेकिन मामला अदालत तक पहुंचा, तब एफआइआर दर्ज की गई।
कार का सनरूफ खोलकर सेल्फी
रायपुर के रिवर व्यू क्षेत्र का है, जहां युवक चलती कार के सनरूफ से बाहर निकलकर सेल्फी और वीडियो बनाते नजर आए। यह दृश्य भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताते हुए पूछा कि इस गैरजिम्मेदाराना हरकत पर पुलिस ने क्या कदम उठाए हैं।