छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने जवाब में बताया कि चैतन्य की कंपनी में ब्लैकमनी को वाइट करने के लिए इन्वेस्ट किया गया है।
दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को भिलाई से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं।
ED के मुताबिक, शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया गया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है।
चैतन्य ने ED की गिरफ्तारी को दी चुनौती
इस पर चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें तर्क दिया गया कि ED की जांच और कार्रवाई अवैधानिक है। बिना किसी ठोस सबूत के याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की गई है। कानूनन इस तरह की जांच गलत है और इससे जुड़ी सारी कार्रवाई निरस्त की जानी चाहिए।
पिछली सुनवाई में उठे थे स्वास्थ्य और सुविधा के मुद्दे
पिछली सुनवाई के दौरान चैतन्य की ओर से अदालत को बताया गया था कि उन्हें जेल में बुखार है और साफ पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। इस पर जस्टिस अरविंद वर्मा ने ईडी और जेल अधीक्षक को निर्देश दिए थे कि वे स्वास्थ्य और सुविधाओं का सत्यापन करें और जेल मैनुअल के अनुसार सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएं। साथ ही निचली अदालत में भी आवेदन देने को कहा गया था।
अगली सुनवाई में ED देगा विस्तृत जवाब
मंगलवार की सुनवाई के दौरान ED ने अपने जवाब में बताया कि विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे। चैतन्य की कंपनी में ब्लैकमनी को वाइट करने के लिए इन्वेस्ट किया गया है। हालांकि, अभी ED ने विस्तृत जवाब नहीं दिया है। हाईकोर्ट अब इस मामले पर 8 सितंबर को सुनवाई करेगा।