बीजेपी की हिमाचल प्रदेश की मंडी से सांसद कंगना रनौत ने एक बार फिर राज्य की सुक्खू सरकार पर हमला किया है. कंगना रनौत ने सुक्खू सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, सीएम सुक्खू कर्ज लेते हैं और उस कर्ज वो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को देते हैं. उन्होंने दावा किया कि इससे राज्य की वित्तीय स्थिति ख़राब हो गई है.
सांसद कंगना रनौत शिमला के एक गांव में बीजेपी सदस्यता अभियान की शुरुआत करने पहुंची थी. इसी दौरान रनौत ने जनता को संबोधित करते समय कांग्रेस पर निशाना साधा. एक्ट्रेस से राजनीति में आईं रनौत ने कहा, हर कोई जानता है कि भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने अपने राज्यों को खोखला कर दिया है.
सीएम सुक्खू पर किया हमला
सांसद ने कहा, प्राकृतिक आपदा और कांग्रेस सरकार ने राज्य को सालों पीछे कर दिया है. साथ ही उन्होंने लोगों से ऐसी सरकार को हटाने के लिए कहा. कंगना रनौत ने सुक्खू सरकार पर आपदा फंड को लेकर आरोप लगाया. उन्होंने कहा, अगर हम आपदा फंड (Disaster fund) देते हैं तो यह सीएम राहत कोष में जाना चाहिए, लेकिन हर कोई जानता है कि यह सोनिया राहत कोष में जाता है.
विक्रमादित्य सिंह पर साधा निशाना
रनौत ने हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर भी हमला करते हुए कहा, लोग “सड़कों पर गड्ढों से परेशान हो चुके हैं” इसके बावजूद इस मुद्दे को हल करने के लिए बहुत कम काम किया जा रहा है. कंगना रनौत ने अपने निर्वाचन क्षेत्र मंडी को बेहतर बनाने का संकल्प लिया और लोगों से बड़ी संख्या में बीजेपी का हिस्सा बनने का आग्रह किया.
सासंद ने राज्य में सैलरी-पेंशन में देरी, मुफ्त बिजली और पानी न मिलने सहित राज्य के वित्तीय संघर्षों की ओर भी इशारा किया. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्राइमरी स्कूलों में खेल सुविधाओं में कटौती की जा रही है, जिसे उन्होंने हिमाचल के बच्चों के भविष्य के खिलाफ एक “साजिश” बताया. जिसके साथ ही उन्होंने मंडी में एक खेल परिसर विकसित करने का वादा किया.
हिमाचल प्रदेश में वित्तीय संकट
हिमाचल प्रदेश इस समय वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. बढ़ते राजस्व खर्च के चलते राज्य में संकट है. जहां बीजेपी ने इस मौजूदा संकट के लिए सीएम सुक्खू को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं, दूसरी तरफ सीएम सुक्खू ने इन हालातों के लिए पिछली बीजेपी की राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, अगर इन हालातों के लिए कोई जिम्मेदार है तो वो पिछली बीजेपी की सरकार है, उन्हें 15वें वित्त आयोग के अनुसार राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) से लगभग ₹10,000 करोड़ मिले थे और तब से यह ग्रांट कम होता जा रहा है.